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12 किलोमीटर लंबी इस गुफा कहानी आपको हैरान कर देगी…

यमुना की खादरों में बनी इस गुफा से होकर राजा गजराजा की सेना राजा का ताल पर पानी पीने जाती थी।  

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फिरोजाबाद। यमुना की खादरों में अनगिनत राज छिपे हुए हैं। यहां न जाने कितने राजा आए और अपनी सेना के साथ कई वर्षों तक रहे। इस क्षेत्र में कई युद्ध भी हुए। यमुना की खादर में बनी करीब 12 किलोमीटर लंबी इस गुफा से होकर राजा की सेना युद्ध के दौरान अपनी प्यास बुझाने के लिए जाती थी।

सेना के साथ रहता था राजा गजराजा
बताया जाता है कि सैकडों वर्ष पूर्व एक गजराजा नाम का राजा इस गुफा के आस-पास क्षेत्र में अपनी सेना के साथ रहते थे। उसकी सेना में सैकडों हाथी, घोडे हुआ करते थे। गुफा के बाहर करीब 30 एकड़ भूमि पर उसका साम्राज्य फैला हुआ था। सबसे ऊंचे टीले पर राजा का महल बना हुआ था। आज वहां मिट्टी के खंडहर ही अवशेष बचे हैं। राजा के महल के समीप ही रानी का भी महल था।

राजा का ताल तक खुदवाई थी गुफा
इस गुफा को राजा गजराजा ने अपनी सुरक्षा को लेकर खुदवाया था। बताते हैं कि इस गुफा को यमुना की खादरों से होकर टूंडला और फिरोजाबाद की सीमा के बीच तक खुदवाया था। उस समय मोहम्मद गौरी का क्षेत्र में आतंक था। राजा की सेना में शामिल हाथी, घोडों की प्यास बुझाने के लिए राजा ने इन दो नगरों की सीमा के बीच में तालाब खुदवाया था। इस तालाब को राजा का ताल कहा जाता था। इसी तालाब के नाम पर कस्बे का नाम राजा का ताल रख दिया गया। आज भी टूंडला और फिरोजाबाद के बीच में बसे छोटे से कस्बे को राजा का ताल कहा जाता है।

युद्ध में आती थी काम
युद्ध के दौराना इस गुफा से होकर राजा की सेना राजा का ताल तक पानी पीने के लिए आती जाती थी। युद्ध होने पर राजा भी इसी गुफा का सहारा लेकर युद्ध में विजय श्री प्राप्त करता था। अब यह गुफा केवल दिखावे के लिए बची हुई है। इस गुफा के अंदर गैस बनने लगी। कहा जाता है कि गुफा के अंदर जाकर कई लोग बेहोश हो गए तो कई लोगों की मौत भी हो गई। तब से इस गुफा को बंद कर दिया गया है।