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कोरोना आपदा ने छीने श्रमिक वर्ग के रोजगार

विश्व मजदूर दिवस विशेष

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कोरोना आपदा ने छीने श्रमिक वर्ग के रोजगार

विश्व मजदूर दिवस विशेष

गाडरवारा-पनारी। कोरोना वायरस आपदा ने हर वर्ग के रोजगार पर असर डाला है। लेकिन बाहर काम करने वाला श्रमिक वर्ग इस आपदा से सबसे बुरी तरह प्रभावित हुआ है। कोराना आपदा ने न केवल इनकी रोजी रोटी का जरिया छीन लिया, वहीं इनमें से अनेक मजदूरों को मशक्कत करते हुए गांव वापस आने को मजबूर होना पड़ा है। गांव आने के बाद अब इनके सामने आने वाले दिनों में परिवार के भरण पोषण एवं रोजी रोटी का बड़ा सवाल मुंह बाए खड़ा है। एक मई विश्व मजदूर दिवस के मौके पर पत्रिका ने ग्रामीण क्षेत्र के ऐसे ही कुछ श्रमिकों से बात की तो उन्होंने अपनी परेशानी बताई।
ग्राम पनारी के मूल निवासी धीरज मालवीय लकड़ी फर्नीचर का निर्माण कार्य करने के लिए विगत 10 सालों से इंदौर के शिक्षक नगर में निवास कर अपने परिवार का पालन कर रहे थे। कोरोना महामारी के चलते एक माह से ज्यादा समय हो गया, तबसे गांव आने के बाद काम धंधा बिल्कुल बन्द हो गया है। वहां इनके पास जो कुछ भी खाने पीने का सामान, राशन आदि था। वह मात्र 10-12 दिनों में वो भी खत्म हो गया। इससे परेशान हो गए तो किसी भी तरह कुछ पैदल कुछ ट्रक से चलकर घर आ गए। इनका एक छोटा पांच साल का बच्चा भी है जो केजी वन में पढ़ता है। धीरज ने बताया इंदौर में कोरोना को लेकर एवं रुपए न होने से मन में बहुत डर भी था, लगता था कैसे भी अपनों के पास घर तक पहुंच जाएं। आगे के बारे में कहा पेट पालने के लिए अब दोबारा जाना तो पड़ेगा। क्योंकि गांव में काम भी नही है और मजदूरी भी कम मिलती है। लेकिन जब तक स्थिति पूरी तरह से नही सुधरती तब तक नही जाएंगे। इसी प्रकार गांव का रशीद खान भोपाल में राजमिस्त्री का काम करता था। वो भी लाक गत माह से घर आ गया है। इसने बताया कुछ कहा नहीं जा सकता आगे क्या होगा, कोरोना आपदा कब तक चलेगी, रोजगार न हो, लेकिन कम से कम इतना सुकून तो है कि घर पर अपनों के बीच हैं।
उक्त बाहर काम करने वालों के अलावा गांव, शहर में आटो चलाने वाले, प्राइवेट नौकरीपेशा, जलपान, चाय, पान की दुकान वालों के सामने भी रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है। विगत एक माह से आवागमन तथा दुकानें बंद हैं। वहीं पान की बिक्री नहीं होने से पान की फसल भी सडऩे लगी है। ज्ञात रहे यह छोटे रोजगार वाले एवं दुकानदार दिन भर कमाते थे और तब परिवार चलाते थे। इनको भी रोजगार की बहुत बड़ी समस्या हो गई है। उक्त लोगों का कहना है शासन ने किराना या अन्य दुकानें खोलने में छूट दे दी है, लेकिन यह गरीब वर्ग परेशान है। बहरहाल आने वाले समय में क्या होता है यह तो भविष्य में पता चलेगा, लेकिन बेरोजगारों की गांवों में तादाद बढऩे से इंकार नहीं किया जा सकता।