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प्रकृति भी नहीं दे रही साथ: कोरोना कहर के साथ अप्रेल में हुई बरसात

धंधे रोजगार बन्द फसल भी चौपट होने से बिगड़ेंगे हालात

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प्रकृति भी नहीं दे रही साथ: कोरोना कहर के साथ अप्रेल में हुई बरसात

धंधे रोजगार बन्द फसल भी चौपट होने से बिगड़ेंगे हालात

गाडरवारा। इस बार साल की शुरुआत से ही पानी बरसने का क्रम अक्सर जारी है। इसी प्रकार अप्रेल के महीने में भी बिना मौसम की बरसात किसानों को चैन नहीं लेने दे रही है। इससे किसानों को फसल चौपट होने की निरंतर आशंका बनी हुई है। दूसरी ओर लोगों का कहना है, जहां लाक डाउन से सभी प्रकार के धंधे रोजगार बंद हैं। ऐसे में फसल भी नष्ट हुईतो हालात और खराब हो सकते हैं। बता दें कि सोमवार देर रात नगर से लेकर पूरे अंचल में कुछ मिनट तक तेज बरसात हुई। वहीं हवाओं के साथ आसमान में गर्जना भी होती रही। लगभग आधे घंटे तक हुई बरसात के दौरान किसानों को चिंतामग्र बताया गया। गनीमत रही कि इसके बाद बरसात थम गई एवं अगले दिन सुबह से मौसम साफ बना रहा। मिली जानकारी के अनुसार गत रात्रि की बरसात से अधिक नुकसान नहीं हो पाया। हालांकि खेतों में खड़ी सूखी फसल के साथ, खेत में कटे पड़े चने गेहूं में भीगने से कुछ नुकसान की आशंका भी जताई गई है।
संसाधन नहीं मिलने से फसल कटाई प्रभावित
अनेक गांवों के किसानों के अनुसार पर्याप्त संसाधन एवं मजदूर न मिलने से कटाई प्रभावित हो रही है। सालीचौका अंचल के किसानों के मुताबिक कोरोना से अधिक चिंता किसानों को मेहनत की फसलो पर पानी न फिर जाए इसकी है। प्रशासन अधिक हारवेस्टर उपलब्ध कराए, उन्हें जिले मे आने की परमिशन नियम शिथिल और सरल बनाए। जिससे किसानों की फसलें शीघ्र काटी जा सकें। चौधरी पृथ्वीराज सिंह कृषक रमपुरा ने बताया हार्वेस्टर वाले मनमाने रेट पर हार्वेस्टर चला रहे हैं। जबलपुर जैसे 1200 रुपए प्रति एकड़ रेट तय होना चाहिए। खेत काटने की गारंटी होना चाहिए, भूसा बनाने वाली मशीन भी 1500- 1600 रुपए में एक ट्राली भूसा बना रहे हैं। इनको भी 1200 रुपए ट्राली तय होना चाहिए। किसान की गेहूं खरीद की व्यवस्था जल्द होना चाहिए। क्योंकि हार्वेस्टर, भूसा मशीन, मजदूर का पैसा, मूंग बीज, मूंग की दवाई खाद एवं डीजल की व्यवस्था किसान के वाहनों की बीमा राशि इस समय केवल नगद में है। अब किसान के पास पैसा नहीं करे तो क्या करें। अगर खरीद नहीं हो रही तो किसान के गेहूं के रजिस्ट्रेशन के अनुसार पिछली खरीद के अनुसार 10 प्रतिशत राशि तत्काल किसान के खाते में एडवांस डाली जाए। जब खरीद होगी तब यह राशि उसके गेहूं में से काट ली जाए। इससे अन्नदाता किसान अपनी बोनी समय पर कर सकेगा एवं कृषि कार्य कराने के पैसे समय पर दे पाएगा। कृषक गोविंद पटेल तूमड़ा ने कहा प्रशासन को उन छोटे किसानों, जिनके पास एक-डेढ एकड़ जमीन में गेंहूं की फसल है। जिसे काटने के लिए हारवेस्टर वाले मना कर रहे है, उनके गेहूं कटवाने की भी व्यवस्था हो व उनमें हारवेस्टर का किराया भी उचित तय होना चाहिए। 1400 रुपए प्रति एकड़ हार्वेस्टर द्वारा किसानों की फसल कटाई की जा रही है, इससे छोटे किसान बेहद परेशान हैं।
बहरहाल कोरोना आपदा कब तक रहेगी यह तय नही है। ऐसे में केवल कृषि ही एकमात्र साधन बची है, यदि इस पर भी मौसम की मार पड़ी तो मुश्किलें बढऩे से इंकार नहीं किया जा सकता।