
किडनी की रहस्यमयी बीमारी से सुपेबेड़ा में पूर्व सरपंच हारा जिंदगी की जंग, 150 से ज्यादा लोग बीमार
देवभोग. तमाम दावों के बीच सरकार सुपेबेड़ा और उसके आसपास के लोगों का भरोसा नहीं जीत पाई। किडनी की रहस्यमयी बीमारी से जूझ रही एक और जिंदगी अपनी जंग हार गई। करीब 7 वर्षों से बीमार पूर्व सरपंच पुरंधर पुरैना 58 की रविवार सुबह 7 बजे मौत हो गई।
सुपेबेड़ा के मुरली मनोहर छेत्रपाल ने बताया, पुरैना कई वर्षों से रायपुर, ओडिशा व विशाखापट्टनम के सरकारी-निजी अस्पतालों में अपना इलाज करा चुके थे। रायपुर के डीकेएस सुपर स्पेशिलिटी अस्पताल में पदस्थ गांव के त्रिलोचन सोनवानी ने उनको कई बार रायपुर आकर डायलिसिस कराने की सलाह दी थी, लेकिन पुरंदर सरकारी अस्पताल में आने को तैयार नहीं हुए। देवभोग के बीएमओ डॉ. सुनील ने बताया, एक सप्ताह पहले पुरंधर की जांच हुई थी। उनके खून में क्रिटिनिन की मात्रा सामान्य से 10 गुना ज्यादा था। वहीं रक्त की मात्रा केवल 5.2 ग्राम थी, जो सामान्य से एक तिहाई कम है।
बीएमओ ने बताया, पुरैना को आयरन सुक्रोज चढ़ाया गया था, उसके बाद उन्हें हायर सेंटर में रिफर किया गया था, लेकिन वे वहां न जाकर घर चले गए। पुरंधर की मौत के साथ ही गांव में किडनी की बीमारी से मरने वालों की संख्या 70 पहुंच गई है। ग्रामीणों के मुताबिक वास्तविक संख्या 100 से अधिक है। अभी भी 150 से अधिक लोग बीमार है, इनमें से 25-30 प्रतिशत के शरीर में क्रिटिनिन की मात्रा खतरनाक स्तर पर है।
गांव के महेन्द्र सोनवानी ने बताया, पुरंधर पुरैन जैसे गांव के तमाम लोग रायपुर इलाज के लिए नहीं जाना चाहते। लोग, गांव के ही लालबंधु छेत्रपाल की हालत देखकर डरे हुए हैं। लालबंधु पिछले महीने से रायपुर के डीकेएस अस्पताल में भर्ती हैं। उनका 85 बार डायलिसिस किया जा चुका है, लेकिन बीमारी ठीक नहीं हुई। ग्रामीणों में धारणा है कि बीमारी ठीक नहीं हो रही है और एक बार डायलिसिस हो जाने पर बार-बार कराना होगा।
विपक्ष में रहते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल गांव जा चुके हैं। वे पुरंधर पुरैना के घर भी गए थे। सरकार बनने के बाद पूरे इलाज का वादा किया था। सरकार बनने के बाद स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव और पीएचई मंत्री गुरू रूद्र कुमार वहां गए। बीमारों से हाथ जोडकऱ रायपुर आकर इलाज कराने को कहा। उनके कहने पर कई लोग गए भी, लेकिन अव्यवस्था देखकर भाग आए। गांव के मुरारी मनोहर छेत्रपाल ने बताया कि सरकार ने गांव से दो किलोमीटर दूर बोरिंग खोदकर पानी देने की व्यवस्था की है, लेकिन उससे भी खराब पानी मिल रहा है। गांव के बोर में लगाए ऑर्सेनिक और फ्लोराइड रिमूवल प्लांट ठीक से काम नहीं कर रहे हैं। ऐसे में दिक्कतें जस की तस हैं।
Published on:
30 Sept 2019 08:53 am
बड़ी खबरें
View Allगरियाबंद
छत्तीसगढ़
ट्रेंडिंग
