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2007 में लापता हुए पुलिसकर्मी की हो चुकी थी हत्या, ग्यारह साल बाद एेसे हुआ खुलासा

पुलिस लाइन से मुखबिर के साथ लापता हो गया था कांस्टेबल

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2007 में लापता हुए पुलिसकर्मी की हो चुकी थी हत्या, ग्यारह साल बाद एेसे हुआ खुलासा

गाजियाबाद।यूपी के महानगर गाजियाबाद के कविनगर थाने से संदिग्ध परिस्थितियों में 2007 में लापता हुए पुलिसकर्मी आैर उसके साथी की खोज में जुटी क्राइम ब्रांच को ग्यारह साल बाद कामयाबी हाथ लगी है।पुलिस ने कांस्टेबल आैर उसके मुखबिर की हत्या करने वाले आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। हालांकि अभी तक पुलिस पुलिसकर्मी को लापता समझकर ही मामले की जांच कर रही थी।लेकिन हकीकत सामने आने पर सभी लोग दंग रह गये।पुलिस भी हत्यारों की कहानी सुनकर चौंक गर्इ।

वीडियो देखने के लिए यहां क्लिक करें-ग्यारह साल बाद मिला लापता पुलिस कांस्टेबल का हत्यारा

इस छोटी सी बात पर कर दी थी हत्या, ग्यारह साल बाद हुआ खुलासा

दरअसल गाजियाबाद पुलिसलाइन में 2007 में तैनात इकरार संदिग्ध परिस्थितियों में लापता हो गया था। जांच में सामने आया कि उनके साथ थाने का मुखबिर विजयपाल भी लापता था। परिवार से लेकर पुलिस दोनों ही उनकी तलाश में जुटी थी। लेकिन सालों बाद भी दोनों का कुछ सुराग नहीं लगा। वहीं अब ग्यारह साल बाद पुलिस ने इस मामले में खुलासा करते हुए एक बावारिया गिरोह के बदमाश को गिरफ्तार किया है। जिसने अपनी मुखबिरी का शक होने पर पुलिसकर्मी आैर मुखबिर को मौत के घाट उतार दिया था।

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हत्या के बाद एेसे मिटा दिया सुराग

मामला सन 2007 का है जब पुलिस लाइन में तैनात कांस्टेबल इकरार ओर उसका मुखबिर विजयपाल दोनो ही लापता हो गए और पुलिस ने गुमशुदगी दर्ज कर जांच शुरू की। मेघु उर्फ विजय नामक शातिर बदमाश कई तरह की आपराधिक वारदातो को अंजाम दिया करता था। विजयपाल पुलिस का मुखबिर था और अपराधियों से अवैध कार्यो की एंवज में पैसा वसूल करता था। पैसों के लेन देन में विजयपाल ओर मेघु का विवाद हुआ।जिसके चलते विजयपाल कांस्टेबल इकरार को लेकर अभियुक्तों के पास छोलस थाना जारचा पहुंचा।यहां मेघु उर्फ विजय ने आने साथियों के साथ मिलकर दोनों की हत्या कर दी। इतना ही नहीं आरोपियों ने दोनों के शव के छोटे छोटे टुकड़े करनाले में फेंक दिये थे। जिसके बाद से पुलिस आरोपियों का पता लगाने में जुटी थी।

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क्राइम ब्रांच पुलिस ने एेसे दबोच आरोपी बदमाश

पुलिस 2007 में लापता हुए पुलिसकर्मी की तफ्तीश में जुटी हुई थी। इस मामले में पुलिस को सूचना मिली कि बावरिया गिरोह के कुछ लोग पुराना बस स्टैंड पर खड़े हैं। क्राइम ब्रांच ने जाल बिछाकर दोनों को गिरफ्तार कर लिया और पूछताछ में जो खुलासा हुआ। उससे सालों पहले की गुत्थी सुलझ गयी।


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