
दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे (Delhi-Meerut Expressway) को बनाने के लिए जो भूमि ली गई थी। उसके मुआवजे के घोटाले में एक ऐसे परिवार का नाम सामने आया है। जिसकी तीन पीढ़ियों के बुने हुए जाल में अधिकारी फंसे रहे। पूरे मामले की गहन जांच में पता चला है कि परिवार ने गलत तरीके से डीएवी के लिए अपने परिचितों को भूमि बेचकर मुआवजा उठाया। इतना ही नहीं सरकारी भूमि पर भी वर्षों तक अवैध कब्जा भी किया हुआ था। दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे की भूमि के मुआवजे को लेकर जो घोटाला सामने आया। उसके बाद से प्रशासनिक अधिकारी इसकी तह तक पहुंचने में लगे हुए हैं और जिन लोगों के भी नाम सामने आ रहे हैं। ऐसे सभी लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। अभी तक इस पूरे मामले में चार एफआईआर दर्ज की जा चुकी हैं।
फर्जी तथ्यों के आधार पर किया बैनामा
मिली जानकारी के मुताबिक, दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे के लिए जिस भूमि का अधिग्रहण किया गया। इस पूरे मामले में घोटाला का उजागर हुआ। जिसके बाद से प्रशासनिक अधिकारी इसकी तह तक जा पहुंचे और अभी तक इस मामले में चार एफआईआर भी दर्ज कराई गई है। इतना ही नहीं इस पूरे मामले में के दौरान जो अधिकारी भी शामिल रहे हैं। उनके खिलाफ भी कार्रवाई की तैयारी की जा रही है। शासन की तरफ से जैसे ही भू माफियाओं के खिलाफ विशेष अभियान चलाए जाने के आदेश के बाद गाजियाबाद की तहसील सदर, रसूलपुर सिकरोड़ा, मटियाला गांव के खसरा नंबरों की गहन जांच की गई। जिसमें पता चला कि फर्जी तथ्यों के आधार पर तीन समिति गठित की गई जिनका उद्देश्य केवल सीलिंग अधिनियम से भूमि को बचाकर गलत तरीके से अधिक लाभ अर्जित करना था। लेकिन जब दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे को बनाने के लिए भूमि का अधिग्रहण किया गया तो समिति के सदस्यों ने फर्जी तथ्यों के आधार पर ही बैनामा कर डाला।
मामले में कई घोटाले सामने आए
इस पूरे मामले की जानकारी देते हुए गाजियाबाद की अपर जिलाधिकारी ऋतु सुहास ने बताया कि दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे के लिए जिस भूमि का अधिग्रहण किया गया था। इस मामले में कई घोटाले सामने आए हैं। गहन जांच की गई तो पता चला कि दिल्ली के दरियागंज में रहने वाले रामेश्वर दास गुप्ता ने समिति का गठन किया। जिसमें उनके परिवार के लोग ही सदस्य बने हुए थे और समितियों के नाम अशोक सहकारी क्षेत्र समिति, अशोक सहकारी गृह निर्माण समिति, अशोक संयुक्त सहकारी समिति रखे गए। अपने लोगों को ही लाभ पहुंचाने के लिए रामेश्वर गुप्ता का बेटा अरुण गुप्ता और उसका बेटा गोल्डी गुप्ता की इस पूरे मामले में अहम भूमिका नजर आई। उन्होंने बताया कि डीएमई भूमि मुआवजा घोटाले से संबंधित जांच में रामेश्वर गुप्ता के परिवार के सदस्यों के नाम सामने आए हैं। जिस की गहन जांच शुरू कर दी गई है। उन्होंने बताया कि फिलहाल अभी तक चार एफआईआर भी दर्ज हो चुकी है और अभी यह भी जानकारी की जा रही है। जिस दौरान यह घोटाला हुआ उस वक्त कौन-कौन अधिकारी मौजूद थे और जिन अधिकारियों के इन फाइलों पर हस्ताक्षर हैं। उनके खिलाफ भी कार्रवाई की तैयारी की जा रही है।
Published on:
03 Jun 2022 12:15 pm
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