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शहीदों के परिवार के लिए सरकारों के पास नहीं है रूपया – एमएस बिट्टा

कारगिल के शहीदों की लाश की कीमत सिर्फ 70 हजार रूपये

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Archana Sahu

May 10, 2016

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गाजियाबाद।
भारत माता की सीमा पर अपनी जान को गंवाने वाले शहीदों के लिए सरकार के पास रूपये नहीं है। राजनेता सिर्फ थोड़ी देर के लिए जवानों की शहादत को याद रखते हैं उसके बाद में भूल जाते हैं। ऐसा कहना है ऑल इंडिया टेरेरिस्ट फ्रंट के चैयरमैन एमएस बिट्टा का। एक कोचिंग सेंटर के उद्घाटन के अवसर पर पहुंचे बिट्टा ने सरकार पर जमकर निशाना साधते हुए कहा कि सरकारों के पास में दूसरे कामों और घोटालों के लिए फंड उपलब्ध है, लेकिन जब बात शहीदों की आ जाती है। तो जेब से रुपया नहीं निकलता।


कारगिल के शहीद की लाश की कीमत 70 हजार रूपये


एमएस बिट्टा का कहना है कि देश का जवान हमारी सीमा की रक्षा के लिए अपनी जान कुर्बान कर देता है, लेकिन सरकारें उसकी शहादत को कम आंकती हैं। कारगिल के दौरान तत्कालीन सरकार की तरफ से वहां पर शहीद हुए जवानों की कीमत सिर्फ 70 हजार रूपये लगाई गई। सभी को उतने मुआवजे की घोषणा की गई। जिसपर उनकी संस्था ने शहीदों के परिवार के लोगों को ढाई –ढाई लाख रूपये दिए। इससे शर्म मानकर बाद में सरकार ने सभी को पांच-पांच लाख रूपये देने की घोषणा की।


देशभक्ति के जुनून से बढकर कुछ भी नहीं है


भारत को माता का दर्जा दिया जाता है। यहां जन्मे लोग अपनी सीमाओं की रक्षा करने के लिए अपने जान को कुर्बान करना अपना सौभाग्य समझते हैं। महेन्द्रगढ़ में एक जवान शहीद युद्ध के दौरान शहीद हुआ। उसके परिवार में दो बेटे थे। परिवार के लोग दोनों बेटों को सेना में भर्ती कराना चाहते थे। इसलिए सरकार को शहीद और देशभावना को समझते हुए ऐसे परिवारों की भावनाओं की कदर करनी चाहिए।


शिक्षा, जात बिरादरी की तरह शहीदों के परिवारों को भी मिले कोटा

एमएस बिट्टा के मुताबिक आज शिक्षा से लेकर जात बिरादरी और हर क्षेत्र में आरक्षण के नाम पर मारा मारी मची हुई है। कई पर आंदोलन करके वाहनों को जलाया जा रहा है। तो कहीं पर रेल की पटरी रोकी जा रही है। सही मायने में अगर आरक्षण देना ही है तो पहले शहीदों के परिवारों को कोटा मिलना चाहिए। हर स्कूल कॉलेज और आरक्षण वाली जगहों पर उन्हे प्राथमिकता मिलनी चाहिए।