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कैराना उपचुनावः अखिलेश ने चली ऐसी चाल कि बीजेपी के उड़ गए होश

सपा की रणनीति देखकर भाजपा के दिग्गजों के चेहरे से गायब हुई चमक

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Akhilesh

नोएडा. सपा और बसपा के घठबंधन के बाद फूलपुर और और गोरखपुर लोगसभा सीट गंवाने के बाद भाजपा के सामने अब और बड़ी चुनौती आ गई है। भाजपा के सांसद हुकुम सिंह और नूरपुर से भाजपा विधायक लोकेन्द्र चौहान की मौत से खाली हुई कैराना लोकसभा और नूरपुर विधानसभा सीट के लिए होने वाले उपचुनाव में भाजपा की मुशकिलें बढ़ती नजर आ रही है। सपा-बसपा गठबंधन से मात खा चुकी भाजपा के सामने अब आरएलडी भी बड़ी चुनौती बनकर सामने आ गई है। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बसपा से चुनावी गठबंधन के बाद अब राष्ट्रीय लोक दल (आरेलडी) से भी उप चुनाव के लिए गठबंधन कर लिया है। इस महागठबंधन के बाद राजनीतक पंडित इन दोनों सीटों पर भी भाजपा को हार मिलने की आशंका जता रहे हैं।

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खबरों के मुताबिक शुक्रवार को हुई सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और रालोद उपाध्यक्ष जयंत चौधरी की मुलाकात के बाद सपा और रालोद में मिलकर नूरपुर और कैराना उपचुनाव लड़ने की सहमति बनी है। इसके अनुसार 28 मई को यहां होने वाले उपचुनाव में दोनों एक-एक सीट से प्रत्याशी उतारेंगे। इस बीच अटकलें हैं कि कैराना के अलावा नूरपुर विधानसभा उपचुनाव के लिए भी कैंडिडेट का नाम तय हो गया है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक कैराना लोकसभा सीट से रालोद की तबस्सुम हसन जबकि नूरपुर सीट पर सपा के नईमुल हसन को प्रत्याशी घोषित कर दिया गया है। रालोद प्रवक्ता अनिल दुबे ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि 28 मई को यहां होने वाले उपचुनाव से पहले दोनों दलों के बीच गठबंधन पर बात बन गई है।

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दरअसल आपको बता दें कि अपनी जमीन बचाने के लिए संघर्ष कर रहे रालोद मुखिया चौधरी अजीत सिंह की पार्टी रालोद सपा के सहयोग से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कैराना सीट के सहारे अपनी खोई हुई जमीन तलाशने की तैयारी में है। फिलहाल रालोद और सपा ने कैराना और नूरपुर उपचुनाव के लिए गठबंधन किया है। इसके तहत कैराना लोकसभा सीट रालोद के हिस्से में आई है लेकिन उस पर रालोद की घोषित प्रत्याशी तबस्सुम हसन अभी तक सपा में हैं और उनके बेटे नाहिद हसन कैराना विधानसभा सीट से सपा के विधायक हैं। जबकि नूरपुर में घोषित सपा उम्मीदवार नईमुल हसन 2017 विधानसभा चुनाव के पराजित प्रत्याशी हैं। इन्हें इस सीट पर दिवंगत भाजपा विधायक लोकेंद्र चौहान से 12736 वोटों से हार का सामना करना पड़ा था।

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आपको बता दें कि सांसद हुकम सिंह के निधन के बाद कैराना सीट खाली हुई थी, जबकि नूरपुर सीट भाजपा विधायक लोकेंद्र चौहान के निधन से खाली हुई है। माना जा रहा है कि सहानुभूति का लाभ लेने के लिए बीजेपी उनकी बेटी मृगांका सिंह को कैंडिडेट बनाने की तैयारी में है। वहीं, बिजनौर जिले की नूरपुर विधानसभा सीट से भाजपा दिवंगत विधायक लोकेंद्र चौहान की पत्नी अवनी सिंह को टिकट देने की तैयारी में है। दोनों सीटों पर 28 मई को मतदान होना है, जबकि वोटों की गिनती 31 मई को होगी।

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यह है रालोद की कोशिश
सियासी जानकारों के मुताबिक रालोद मुखिया चौधरी अजीत सिंह तबस्सुम को आगे कर चौधरी चरण सिंह के वक्त के जाट-मुस्लिम समीकरण को साधना चाहते हैं। इसके जरिए 2013 के मुजफ्फरनगर दंगे के बाद जाट-मुस्लिम के बीच पैदा हुई खाई को भरने की कोशिश होगी। इसके लिए अजीत और जयंत दो महीने से सद्भभावना मुहिम चला रहे हैं। इसके तहत उन्होंने कई मुस्लिम नेताओं को रालोद में शामिल भी किया है। दोनों ही सीटों पर विपक्षी एकता के बाद भाजपा को कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी।


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