
मुन्ना बजरंगी और भाजपा का रहा है 36 का आंकड़ा, ये है बड़ी वजह
गाजियाबाद. बागपत जेल में कुख्यात बदमाश सुनील राठी की गोलियों से सोमवार की सुबह छलनी होने वाले पूर्वांचल के माफिया मुन्ना बजरंगी का भाजपा से 36 का आंकड़ा रहा है। आमतौर पर मुन्ना बजरंगी को भाजपा के बाहुबली विधायक कृष्णनंद राय की हत्या के लिए जाना जाता है। यही वह हत्या थी कि इस हत्याकांड के बाद एनकाउंटर से डरकर बजरंगी ने सरेंडर कर दिया था। लेकिन बजरंगी के हाथों किसी भाजपा नेता की यह पहली हत्या नहीं थी। दरअसल, बजरंगी ने अपराध की दुनिया में पांव रखने के साथ ही एक भाजपा नेता की हत्या कर दी थी। मुन्ना ने 1984 में जौनपुर के एक बीजेपी नेता रामचंद्र सिंह की हत्या कर पूरे जिले में अपना खौफ कायम किया था। बताया जाता है कि मुन्ना बजरंगी का पहला संरक्षणदाता जौनपुर निवासी दबंग नेता गजराज सिंह था। उसी के इशारे पर ही उसने भाजपा नेता रामचंद्र की हत्या कर दी थी। इसके बाद तो बजरंगी ने फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। वह अपराध की दुनिया में बेताज बादशाह बन्ने निकल पड़ा।
एक के बाद एक हत्या की कई घटनाओं से जब मुन्ना बजरंगी ने जौनपुर में खलबली मचाई दी तो पूर्वांचल के मुख्तार अंसारी की नजर उस पर पड़ी। इसके बाद मुख्तार ने उसे अपनी गैंग में शामिल कर लिया। 1996 में सपा के टिकट पर विधायक बनने के बाद मुख्तार की ताकत काफी बढ़ गई। आरोप है कि इसके बाद मुख्तार अंसारी के इशारे पर मुन्ना सभी सरकारी ठेकों को प्रभावित करने लगा। इस दौरान ठेकों से मुख्तार गैंग को मुन्ना काफी कमाई करवाने लगा। इसी दौरान 1995 में एक बार मुन्ना एसटीएफ के चंगुल में भी फंसा। मगर मुठभेड़ से बच कर भाग निकला। यूपी में खुद को सुरक्षित न पाकर बाद में मुंबई को उसने ठिकाना बनाकर अपराध जारी रखा।
इसके बाद 29 नवंबर 2005 बजरंगी ने गाजीपुर के मोहम्मदाबाद सीट से भाजपा के बाहुबली विधायक कृष्णनंद राय की हत्या की हत्या कर दी। बजरंगी के हाथों ये दूसरे भाजपा नेता की हत्या थी। आरोप के मुताबिक उस वक्त एके-47 से मुन्ना बजरंगी और उसके साथियों ने कृष्णानंद के काफिले पर करीब चार सौ राउंड गोलियां चलाईं थीं। इस हमले में विधायक सहित उनके छह सहयोगी मारे गए थे। बताया जाता है कि जब पोस्टमार्टम हुआ था,तब मृतकों के शरीर से 50 से लेकर 100 गोलियां निकलीं थीं। इस घटना के बाद मुन्ना बजरंगी खौफ पैदा करने के साथ ही खुद भी खौफ में आ गया था। दरअसल, भाजपा विधायक की हत्या में नाम सामने आने के बाद मुन्ना बजरंगी को एनकाउंटर का खौफ सताता रहा। ऐसा कहा जाता है कि इससे बचने के लिए उसने खुद यूपी की बजाए दिल्ली पुलिस के सामने सरेंडर की शर्त रखी। खास बात ये है कि उस वक्त दिल्ली पुलिस को भी एक एनकाउंटर स्पेशलिस्ट की हत्या में उसकी तलाश थी। मुंबई में उसने 2009 में पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया। उसे नाटकीय ढंग से पुलिस ने गिरफ्तारी दिखाई। जिसके बाद उसे यूपी पुलिस ने कस्टडी में लिया, तब से विभिन्न जेलों में रहने के दौरान वह अलग-अलग मुकदमों में अदालतों में पेश होता रहा। अब यह एक संयोग ही है कि भाजपा के दो न्ताओं के हत्या के आरोपी रहे बजरंगी की भाजपा सरकार को दौरान ही जेल में हत्या हो गई है।
Published on:
09 Jul 2018 04:12 pm
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