गाजियाबाद। नगर निगम करोडो का घोटाले का अड्डा बन गया हैं। इस बार नगर निगम में 18 करोड़ का जलकल विभाग ने टेंडर निकाला था। आरोप है कि सभी नियमों को ताक पर रख कर नगर निगम के अधिकारियो ने अपने चहेतों यह टेंडर दे दिया।
ये है मामला
ये सभी टेंडर अवस्थापना निधि के फण्ड से जारी किए गए थे। जिसे अफसरों की सरपरस्ती में बिना ई-टेंडरिंग के ही जारी कर उसकी प्रक्रिया पूरी कर दी गई हैं। सूत्र बताते हैं कि इस टेंडरिंग की पूलिंग में 50 लाख का खर्च आया हैं। इस मामले में कुछ ठेकेदारो ने गाजियाबाद मेयर आशु वर्मा से शिकायत की तो मेयर ने इस मामले में एक पत्र नगरायुक्त को भेज कर ई-टेंडरिंग की प्रक्रिया अपनाने को कहा हैं।
टेंडर का पेंच मेयर तक पहुंचा
मेयर आशु वर्मा की मानें तो अवस्थापना निधि में शहर के विकास के लिए बजट आया था। इसी के तहत शहर भर में जलकल विभाग ने सीवर, पानी की पाइपलाइन और अन्य कार्यो के कुल 15 टेंडर जारी किए थे। जिनकी कुल रकम 18 करोड़ थी लेकिन टेंडर में अनियमितता बरतते हुए अपने चहेते ठेकेदारों को टेंडर दिया हैं।
कैमरे से मुंह छिपाते अधिकारी
उधर इस मामले में ठेकेदार भी शिकायत करने मेयर के पास पहुंचे और उन्होंने टेंडर निरस्त करने की मांग की हैं लेकिन मीडिया के सामने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। वहीं जलकल विभाग में बिना एग्जीक्यूटिव इंजीनियर के पद के सालों से तैनात आर.के. यादव से जब इस सिलसिले में बात की तो उन्होंने कैमरे से मुंह चुराते हुए इस मसले पर कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया।