जनपद गाजियाबाद में लाल कुआं के नजदीक चिपियाना गांव में कुत्ते की समाधि है, जिसे अब भव्य मंदिर का रूप दे दिया गया है। यहां खास तौर से वे लोग पूजा करते हैं और प्रसाद चढ़ाते हैं, जिन्हें किसी कुत्ते ने काटा है। यहां पर कुत्ते की समाधि के ठीक सामने एक तालाब भी है, जो कि काफी पुराना है। यहां की मान्यता है कि यदि किसी को कोई कुत्ता काट ले और वह रविवार के दिन इस तालाब में स्नान कर अपने कपड़े वहीं छोड़ दे और फिर इस समाधि पर बनी कुत्ते की मूर्ति पर प्रसाद चढ़ाए तो उसे अपना कुत्ते काटने का इलाज नहीं कराना पड़ेगा और वह खुद ब खुद ठीक हो जाएगा।
मंदिर का इतिहास जानकारी के मुताबिक प्राचीन समय की बात है गाजियाबाद के चिपियाना गांव में एक बंजारा रहता था उसने एक कुत्ता पाला हुआ था, जो कि बहुत वफादार था। वह व्यक्ति अपने जीवन में सबसे ज्यादा प्यार उस कुत्ते को ही किया करता था। बंजारे ने एक बार वहीं के एक साहूकार से कुछ कर्ज लिया था, जिसके एवज में बंजारे ने अपने कुत्ते को साहूकार के यहां बतौर गिरवी रख दिया। जिसे साहूकार ने अपने पास रख लिया था।
एक दिन अचानक साहूकार के घर बदमाशों ने धावा बोल दिया और घर में डकैती डाली, लेकिन इस दौरान कुत्ते ने अपनी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। कुत्ता चुपचाप बदमाशों की सारी करतूत देखता रहा जैसे ही बदमाश सामान लेकर बाहर निकले तो कुत्ता भी उन बदमाशों के पीछे-पीछे चला गया। साहूकार ने सुबह जब देखा कि कुत्ता भी वहां से गायब है तो साहूकार बंजारे के पास गया और उसे बताया कि डकैती होने के बाद भी कुत्ते ने कोई वफादारी का परिचय नहीं दिया। इस बात को सुनकर बंजारे को बहुत गुस्सा आया और बंजारा कुत्ते को खोजने के लिए निकल गया।
साहूकार वापस अपने घर पहुंचा तो कुत्ता भी साहूकार के घर पहुंच गया और साहूकार के कपड़े पकड़कर उस जगह ले गया जहां बदमाशों ने चोरी का सामान रखा हुआ था। जिससे साहूकार को लगा कि कुत्ता वाकई वफादार है और उसने बंजारे से गलत शिकायत की है। इसी बीच अचानक बंजारा भी साहूकार के घर पहुंच गया। यहां जब उसने कुत्ते को देखा तो देखते ही गोली मार दी। कुत्ता वहीं मर गया। कुत्ते को गोली लगने के बाद साहूकार ने डकैती के बाद की कहानी बताई तो बंजारे को काफी पछतावा हुआ। वहीं साहूकार ने कहा कि उससे बहुत बड़ी भूल हुई है। उसने उस कुत्ते की गलत शिकायत की थी, जबकि वह कुत्ता सामान खोजने में लगा हुआ था और उसने सारा सामान बरामद करा दिया।
फिर साहूकार ने कहा कि इस कुत्ते की मौत का पछतावा मुझे ताउम्र रहेगा। आज से मैं इस जगह को इस कुत्ते के नाम ही करता हूं। यहीं इसकी समाधि बनाई जाएगी और किसी शख्स को भी यदि कुत्ता काटेगा और यहां आकर तालाब में स्नान कर अपने कपड़े वहीं छोड़ेगा और कुत्ते की समाधि पर प्रसाद चढ़ाएगा तो उसे कुत्ता काटे का इलाज नहीं कराना पड़ेगा। बंजारे ने भी जब अपने कुत्ते की वफादारी के बारे में सुना तो उसे भी बहुत पछतावा हुआ कि उसने बहुत गलत काम किया है। इसके बाद बंजारे ने भी आत्महत्या कर ली।
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