
गाजियाबाद। उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार सत्ता में आने के बाद में भष्टाचार को रोकने के लिए लगातार पयास कर रही है। लेकिन शायद गाजियाबाद में ये थ्योरी जनप्रतिनिधियों की लडाई के बीच में फंस कर उलझ गई है। दरअसल महानगर के नगर निगम में भष्टाचार में लिप्त होने की शिकायत मिलने के बाद में योगी सरकार के मंत्री समेत विधायकों की तरफ से भष्ट अधिकारी की नगर विकास मंत्री से शिकायत की गई। इसके बाद में नगर विकास मंत्री की तरफ से एक्शन भी लिया गया। लेकिन अब नगर निगम की मेयर और जनप्रतिनिधियों के बीच ठन गई है इसी के चलते निगम की मेयर हटाए गए अधिकारियों को दोबारा से बुलाए जाने के पक्ष में है। इसके चलते मेयर की तरफ से नगर विकास मंत्री को इसके समर्थन में लेटर लिखा गया है।
क्या है पूरा मामला
गाजियाबाद नगर निगम के विभाग में अधिकारी लंबे समय से तैनात रहे है। स्थानीय लोगों की तरफ से अधिकारी के कारनामे की शिकायत जनप्रतिनिधियों से की गई। इसके चलते योगी सरकार के खाद्य रसद मंत्री और शहर विधायक अतुल गर्ग, यूपी की सबसे बड़ी विधानसभा के विधायक सुनील शर्मा, मुरादनगर विधायक अजीत पाल त्यागी की तरफ से अधिकारी को तुरंत प्रभाव से हटाए जाने के लिए लेटर लिखा गया। लेकिन अब नगर निगम की मेयर की तरफ से अधिकारी को वापस नगर निगम में तैनात किए जाने के लिए लेटर शासन को प्रेषित किया गया है।
सालभर पहले विधायकों की सिफारिश पर हटे थे ये अधिकरी
6 जून 2017 को तत्कालीन मेयर अशु वर्मा, शहर विधायक एवं प्रदेश के रसद राज्यमंत्री अतुल गर्ग,मुरादनगर विधायक अजीतपाल त्यागी, साहिबाबाद विधायक सुनील शर्मा संयुक्त रूप से शहरी विकास मंत्री सुरेश खन्ना से लखनउ में जाकर मिले थे और निगम के पांच अधिकारियों को हटाने के लिए लेटर दिया गया था। लेटर के माध्यम से कहा गया था कि नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ, आरके यादव,अधिशासी अभियंता जल आरके यादव,मुख्य अभियंता निर्माण आर के मित्तल एवं अपर नगर आयुक्त डीके सिन्हा को नगर निगम में चार साल से अधिक का कार्यकाल हो गया है,व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए अधिकारियों को तत्काल स्थानांतरण किया जाए। पत्र में महाप्रबंधक जलकल मंजू गुप्ता को तो बहुत ही भ्रष्ट बताते हुए हटाए जाने की सिफारिश की गई थीं।
मेयर के लेटर में किया गया समर्थन
मेयर आशा शर्मा ने लिखे पत्र में कहा गया कि उनके द्वारा पूर्व में भी आग्रह किया जा चुका है कि नगर निगम गाजियाबाद में अधिकारियों के अधिकांश पद रिक्त है। ऐसे में कार्य करने में कठिनायी आ रही है। अधिकारी डीके सिन्हां अपर नगर आयुक्त के पद पर कार्यरत थे और उनकी इस समय तैनाती गोरखपुर में है,क्योंकि सारे अधिकारी अगर नए आएंगे तो उन्हें कार्य समझने में समय लगेगा ऐसे में संभव हो सकें तो सिन्हा को गाजियाबाद नगर निगम में अपर नगर आयुक्त के पद पर तैनात कर दिया जाए,क्योंकि नगर निगम गाजियाबाद की जानकारी अच्छी तरह से है। इसलिए सिन्हा हमारे कार्य में सहायक सिद्ध होगें।
Published on:
18 Apr 2018 11:45 pm
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