
नमामि गंगा योजना के एमडी
गाजीपुर. नमामि गंगे योजना के तहत उत्तर प्रदेश के दो जनपदों बिजनौर और बलिया से शुरू होने वाली गंगा यात्रा की शुरूआत 27 जनवरी को होगी, जिसका समापन 31 जनवरी को कानपुर में होगा। गंगा यात्रा को लेकर भारत सरकार में नमामि गंगा योजना के एमडी राजीव रंजन मिश्रा रविवार को ग़ाज़ीपुर पहुंचे, जहां जिले के पीडब्ल्यूडी गेस्ट हाउस में सोमवार के होने वाले कार्यक्रम को लेकर अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की।
उन्होंने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि गंगा काउंसिल की मीटिंग पिछले महीने जब हुई थी, तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई बातों को लेकर निर्देश दिया था कि गंगा के किनारे जितने भी जिले हैं, उनको लेकर एक यात्रा ली जाए, जिसमें कम समय में सारे विभाग आमजन से जुड़ सकें। जिससे इस यात्रा के दौरान जितने भी गांव आएंगे। उन गांवों को अलग-अलग विभाग के द्वारा क्या कार्य किए जा सकते हैं । क्या समस्याएं है और कैसे जोड़ा जा सकता है । इस बातों पर चर्चा करनी थी । गंगा को निर्मल करने के लिए क्या उपाय किए जाने चाहिए । इन्हीं बातों को लेकर साथ ही आमजन को गंगा के इस अभियान से जोड़ना भी मुख्य उद्देश्य में शुमार है या किसी एक विभाग का कार्य नहीं है । बल्कि यह सभी का कार्य है । इसलिए सभी को जोड़कर ही गंगा को संरक्षित करने का कार्य किया जा सकता है ।
वहीं जब मीडिया में गंगा के किनारे शव दाह और शव को गंगा में फेंके जाने से होने वाले प्रदूषण पर सवाल किया तो उन्होंने कहा कि इसमें कमियां आई है । लेकिन ये आस्था से जुड़ा हुआ है। लेकिन मॉडर्न तरीके के शवदाहगृह बनाए जा रहे हैं । जिसमें कम लकड़ियों की खपत भी हो रही है और प्रदूषण भी कम हुए है। लेकिन इस अभियान के माध्यम से लोगों में जागरूकता लाएंगे तो निश्चित रूप से कमी लाई जा सकती है। क्योंकि यह लोगों के आस्था से जुड़ा हुआ मामला है । वहीं जनपद में गंगा में मिलने वाले करीब 40 गंदे नालों से गंगा में पानी गिरने की बात की गई तो उन्होंने बताया कि इस बात का हमें संज्ञान है और इसके लिए बहुत सारी योजनाएं। इन परियोजना में सीवरेज ट्रीटमेन्ट प्लांट भी है, जो गाजीपुर में भी स्वीकृत है। लेकिन जमीन को लेकर कुछ प्रॉब्लम थी। जिन्हें अब दूर कर लिया गया है । वहीं उन्होंने तत्कालीन रूप से व्यवस्था के बारे में बताया कि यदि लोकल जिला प्रशासन यदि चाहे तो नालों पर जाली लगा दे और उसका समय समय पर सफाई करती रहे तो आने वाले समय में खुद ही गंगा के प्रदूषण में कमी आ सकती है। साथ ही उन्होंने ये भी बताया कि नमामि गंगे योजना के तहत किसानों को औषधि खेती के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। जिससे गंगा के किनारे औषधि खेती होगी तो किसानों को मुनाफा भी होगा। साथ ही इस खेती से एक तो वातावरण शुद्ध होगा और इन औषधि के चलते गंगा का जल स्वच्छ होगा। क्योंकि उत्तराखंड में इसी तरह की खेती होने के चलते वहां पर गंगा काफी स्वच्छ है ।
BY- ALOK TRIPATHI
Updated on:
26 Jan 2020 07:29 pm
Published on:
26 Jan 2020 07:25 pm
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