
पहलवानों की लड़ाई से शुरू हुआ यह मामला अब राजनीतिक दंगल में बदल चुका है।
जंतर मंतर इन दिनों देश के लिए पदक लाने वाले पहलवानों का अखाड़ा बना हुआ है। । ये पहलवान भारतीय कुश्ती संघ (WFI) के अध्यक्ष बृजभूषण सिंह की गिरफ्तारी की मांग को लेकर अड़े हुए हैं। महिला पहलवानों का आरोप है कि बृजभूषण सिंह ने उऩके साथ यौन दुर्व्यवहार किया था। इसको लेकर दिल्ली पुलिस ने एक एफआईआर भी दर्ज कर ली थी।
10 मई को दिल्ली पुलिस ने नाबालिग महिला का बयान
पहलवानों की लड़ाई से शुरू हुआ यह मामला अब राजनीतिक दंगल में बदल चुका है। जहां रोज नया दल, नए संगठन पहलवानों के समर्थन में जुट रहे हैं। एक तरफ इस पूरे मामले को एक राजनीतिक पैंतरे की तरह देखा जा रहा है। वहीं दूसरी तरफ 19 दिन से धरने पर बैठे हुए पहलवानों की मांग को लेकर अदालत की कार्यवाही भी अपनी गति से चल रही है।
इसी के चलते बुधवार यानी 10 मई को दिल्ली पुलिस ने नाबालिग महिला का बयान अदालत में दर्ज कराया। सीआरपीसी की धारा 164 के तहत बयान दर्ज किया गया। बयान मजिस्ट्रेट के समक्ष दर्ज करवाया गया। भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह (Brijbhushan Sharan Singh) के खिलाफ शुक्रवार को बाकी पीड़ित कोर्ट में 164 के बयान दर्ज कराएंगे।
कोर्ट ने पुलिस से 12 मई तक स्थिति रिपोर्ट मांगी थी
दिल्ली पुलिस ने बताया है कि राउज एवेन्यू कोर्ट में अर्जी दाखिल की जा चुकी है और शुक्रवार को बयान दर्ज होंगे। वहीं दिल्ली की एक अदालत ने बुधवार को बृजभूषण सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न के मामले में दिल्ली पुलिस से 12 मई तक स्थिति रिपोर्ट मांगी थी।
अदालत ने प्रदर्शन कर रहे पहलवानों की याचिका पर दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया था। याचिका में अनुरोध किया गया है कि जांच की निगरानी की जाए और कथित पीड़ितों के बयान अदालत के समक्ष दर्ज कराए जाएं।
पहलवान 23 अप्रैल से यहां जंतर मंतर पर धरना दे रहे हैं
दिल्ली पुलिस के सूत्रों ने कहा है कि ‘नाबालिग महिला पहलवान का बयान दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 164 के तहत मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज किया गया है। शेष छह महिला पहलवानों के बयान भी जल्दी ही मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज किए जाएंगे।’ दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 164 किसी मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान दर्ज किए जाने से संबंधित है। बृजभूषण सिंह के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग को लेकर देश के कई पहलवान 23 अप्रैल से यहां जंतर मंतर पर धरना दे रहे हैं।
जानें क्या कहती है सीआरपीसी की धारा 164
दंड प्रक्रिया संहिता (code of criminal procedure 1973) की धारा 164 के तहत स्वीकृति और कथनों को अभिलिखित किया जाता है, यानी इकबालिया बयान दर्ज करना। बयान दर्ज करने का मकसद साक्ष्य को संरक्षित करना है। पहली बार में गवाह की, गवाही का लेखा-जोखा लेना होता है। इस धारा के तहत बयान दर्ज करने के लिए आवेदन आमतौर पर अभियोजन पक्ष दायर करता है।
मजिस्ट्रेट को बयान दर्ज करने के पहले यह सुनिश्चित करना होता है कि बयान देने वाला स्वेच्छा से बयान दे रहा है और उस पर किसी बात का कोई दबाव नहीं है। सीआरपीसी की धारा 164 के तहत गवाह का बयान एक सार्वजनिक दस्तावेज होता है जिसमें किसी तरह की औपचारिक प्रमाण की ज़रूरत नहीं होती है। केवल एक न्यायिक मजिस्ट्रेट या मेट्रोपोलेटिन मजिस्ट्रेट के पास ही संहिता की धारा 164 के तहत बयान दर्ज करने की शक्ति होती है।
Published on:
12 May 2023 09:08 am
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