गोंडा

अंग्रेज बिछाते रेल लाइन अपने आप उखड़ जाती, बेहद खास इस मंदिर का इतिहास

shardiya navratri 2023: शारदीय नवरात्र के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा के लिए भक्तों की भारी भीड़ जुटी। अंग्रेजी यहां पर रेल लाइन नहीं बिछा पाए। आईए जानते हैं। मंदिर के बेहद खास इतिहास  

3 min read
Oct 15, 2023
मां खैरा भवानी मंदिर गोंडा

shardiya navratri 2023: यूपी के गोंडा जिले में मां देवी भगवती का एक अति प्राचीनतम मंदिर है। इस मंदिर का इतिहास बेहद खास है। खरमास और पितृपक्ष को छोड़कर यहां पर प्रतिदिन मां के भक्तों की भारी भीड़ पूजा अर्चन के लिए जुटती है। शारदीय और चैत्र नवरात्र में यहां पर मां के भक्तों की भीड़ बेकाबू हो जाती है। जिले ही नहीं बल्कि प्रदेश के कोने-कोने से मां के भक्त यहां दर्शन करने आते हैं।

shardiya navratri 2023: यूपी के गोंडा जिले में शहर से सटा रेल लाइन के उस पार खैरा गांव में मां देवी भगवती का एक अति प्राचीनतम मंदिर है। खैरा भवानी के नाम से विख्यात यह मंदिर लाखों भक्तों के आस्था का केंद्र है। मंदिर के पुजारी कैलाश नारायन गिरी ने बताया कि यह मां देवी भगवती का अति प्राचीनतम मंदिर है। पहले यह जंगल क्षेत्र हुआ करता था। इसी जंगल क्षेत्र में मां देवी भगवती का एक छोटा सा मंदिर था। आजादी से पहले ब्रिटिश शासन काल में अंग्रेज मंदिर के बगल से बलरामपुर के लिए रेल लाइन बिछाने लगे। दिन भर अंग्रेज रेल लाइन बिछाते थे। और रातों-रात पूरी रेल लाइन उखड़ जाती थी। एक दिन अंग्रेज रेल लाइन बिछा रहे थे। उसे दिन रात में देर तक काम चला। इस जंगल क्षेत्र में छोटे से मंदिर के पास एक अद्भुत तीव्र प्रकाश पुंज दिखाई पड़ी। जिसको देखकर अंग्रेज भाग खड़े हुए। काफी प्रयास के बाद जब इधर से रेल लाइन नहीं बन पाई। उसके बाद अंग्रेजों ने इधर से रेल लाइन बनाने का अपना फैसला वापस ले लिया।

संवत 1898 कोलकाता के एक सेठ ने मंदिर को नया स्वरुप दिया

मंदिर के महंत के अनुसार 1898 संवत में कोलकाता के एक सेठ ने इस मंदिर का जीणोद्धार कराया। महंत ने बताया कि उनके गुरु बताते थे। एक बार सेठ जी गोंडा आए थे। उनके कोई संतान नहीं थी। मंदिर पर आकर उन्होंने पूजा आराधना किया। उसके बाद वापस कोलकाता चले गए। कुछ दिनों बाद जब उन्हें संतान की प्राप्ति हुई। तब वह फिर वापस आए। और मंदिर का संवत 1898 में जीणोद्धार कराया। मान्यता है कि मां भगवती यहां पर प्रकाश पुंज के रुप में प्रकट हुई थी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यहां पर कृत्रिम आंख चढ़ाने मंदिर का नीर और ज्योति का काजल लगाने से भक्तों के सभी तरह के आंखों की बीमारियां दूर हो जाती है।

मेले से पूर्व जायजा लेते नगर कोतवाल IMAGE CREDIT: Patrika original

मंदिर में भक्ति की अद्भुत छटा बिखरी दिखाई देती

मंदिर में जाने के लिए एक ही दरवाजा है। इसी से सभी भक्त मंदिर के भीतर प्रवेश करते हैं। यहां पर मां की ज्योति के साथ भीतर कई अन्य देवी देवताओं के मंदिर है। देवी के विभिन्न स्वरूपों की प्रतिमाएं मंदिर के भीतर विराजमान हैं। भगवान शंकर, हनुमान, काल भैरव के अलावा अन्य देवी देवताओं की पूजा एक साथ ही होती है। इससे मंदिर में भक्ति की अद्भुत छटा बिखरी दिखाई देती है।

मंदिर की पोखरे में सात कुआं कभी नहीं सूखता पानी

मंदिर के बगल में एक पोखरा है। जिसमें हमेशा पानी भरा रहता है। कहा जाता है कि पानी निकलने के लिए इसमें सात कुंए मौजूद हैं। मंदिर में प्रवेश करने से पहले लोगों को पोखरे के पानी से आचमन करना होता है। मंदिर के पुजारी का कहना है कि देवी ज्योति के रुप में प्रकट हुई थी। यहां पर नवरात्र के अलावा भी हर समय मेले जैसा माहौल रहता है। नवरात्र के अवसर पर होने वाली भीड़ को देखते हुए यहां पर सुरक्षा व अन्य विशेष प्रबंध किए गए हैं। इससे आने वाले श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की असुविधा का सामना न करना पड़े।

Published on:
15 Oct 2023 04:41 pm
Also Read
View All

अगली खबर