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मजदूरों की वापसी से पुलिस को अपराध बढ़ने का डर, सरकार रोजगार देने की कवायद में जुटी

सरकार की मंशा अलग है, इसी बीच पुलिस ने अपराध बढ़ने की आशंका जताई है, ऐसे में क्या होगा असमंजस भरा माहौल बन गया (Bihar News) है (Bihar Police Warn To Increase Crime Rate Due To Migrant Labourers) (Bihar Election 2020) (Bihar CM Nitish Kumar) (Gopalganj News) (Patna News) (Bihar Government) (Bihar Migrant Labourers)...

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प्रवासी मजदूर

प्रवासी मजदूर

प्रियरंजन भारती

पटना,गोपालगंज: दूसरे राज्यों से लौटकर बिहार आए तीस लाख प्रवासी मजदूरों को विधानसभा चुनाव के ऐन पहले बिहार सरकार रोजगार देने की प्लानिंग कर रही है। जबकि सूबे का पुलिस महकमा मजदूरों को आर्थिक तंगहाली में आपराधिक घटनाओं को बढ़ाने वाला माना रहा है। इन दोनों विसंगतियों के बीच कई तरह के सवाल उठ खड़े हुए हैं।

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सरकार कर रही प्लानिंग

राज्य सरकार के उद्योग विभाग ने स्किल्ड लेबर ग्रुप को रोजगार देने के लिए दस लाख का लोन और कार्यस्थल देने का फैसला किया है। स्किल्ड लेबर स्वयं सहायता समूह बनाकर दस लाख का लोन और कार्यस्थल विभाग से ले सकेंगे। उद्योग मंत्री श्याम रजक ने बताया कि ऐसे मजदूरों की स्किल मैपिंग के आधार पर सरकार ने यह पहल की है। सरकार इन्हें रोजगार मुहैया कराने के लिए बचनबद्ध है। स्वयं सहायता समूह गठन के लिए विशेष तरह के कामगारों की फेहरिस्त तैयार की गई है। इसे विभाग के आधिकारिक वेबसाइट पर डाला जा रहा है। इसके अतिरिक्त विभिन्न कार्ययोजनाओं में स्किल्ड लेबर्स को रोजगार मुहैया कराए जा रहे हैं। मनरेगा, प्रधानमंत्री आवास योजना समेत अन्य लागू योजनाओं में कार्यदिवस बढ़ाकर मजदूरों को रोजगार दिए जा रहे हैं।

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बता दें कि सरकार ने बाहर से बिहार लौटकर आए मजदूरों को रोजगार देने के लिए बारह विभागों की एक टास्क फ़ोर्स गठित की है। सभी विभाग अपनी लागू कार्ययोजनाएं, स्किल्ड लेबर्स की सूची और संभावित रोजगार के अवसर एक एप में डाउनलोड कर वेबसाइट पर डालेंगे। हालांकि चुनाव के ऐन पहले कोरोना संकट में प्रवासी मजदूरों को रोजगार मुहैया कराने की यह सरकारी कवायद विशेषज्ञों की राय में चुनावी स्टंट से अधिक कुछ नहीं है। कहा तो यह भी जा रहा कि जो सरकार आज तक श्रमिकों को रोजगार देने के लिए सोच तक नहीं रही थी वह चुनावी माहौल में भला अब क्या कर पाएगी?

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पुलिस को अपराध बढ़ने की आशंका

इधर दूसरे राज्यों से काम बंद होने के बाद विभिन्न जिलों में लौटकर आए करीब तीस लाख मजदूरों की आर्थिक विपन्नता और उससे उपजे तनाव को बिहार पुलिस बेहद ख़तरनाक मान रही है। पुलिस को आशंका है कि तंगहाली में परिवार के भरण पोषण की जिम्मेदारियां पूरी करने के लिए बाहर से लौटे मजदूर बेरोजगारी की दशा में अपराधिक वारदात को अंजाम देने आगे आ सकते हैं। इससे आपराधिक गतिविधियां बढ़ने का खतरा है।

पुलिस मुख्यालय के एडीजी अमित कुमार ने सूबे के सभी डीएम और एसपी को इस आशय का पत्र भेजकर सतर्कता बरतने के लिए अलर्ट रहने को कहा है। पत्र में स्पष्ट कहा गया है कि आर्थिक परेशानियों के बीच में मजदूर घरों में लूटपाट तथा अन्य जघन्य अपराध को बढ़ावा दे सकते हैं। पुलिस मुख्यालय के पत्र से साफ हो गया कि प्रशासन की नज़र में दूसरे प्रदेशों से घर लौटे मजदूर आपराधिक दृष्टि से खतरनाक हैं।

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इससे उठने लगे सवाल

मजदूरों को अपराधी मानने और इन्हें रोजगार देने के दो ज्वलंत मुद्दों पर सरकार का यह रवैया कई सवालों को जन्म देने जैसा है। आरजेडी प्रवक्ता चितरंजन गगन ने बताया कि सरकार का यह रुख बेहद घातक है। उसे पहले अपने इरादे स्पष्ट करने होंगे। गगन ने कहा, बिहारी मजदूरों का यह अपमान बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। जनता जमकर इन्हें जवाब देने की तैयारी कर चुकी है।

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