
गोरखपुर। बीआरडी मेडिकल काॅलेज में अगस्त में हुए आक्सीजन की कमी से बच्चों की मौत का आरोपी पुष्पा सेल्स का डायरेक्टर मनीष भंडारी जमानत मिलने के बाद देर शाम को जेल से रिहा कर दिया गया। मनीष को रिहा कराने के लिए उसके परिवारीजन आए थे। रिहाई के बाद मनीष मीडिया से बचता रहा और जल्दी से रवाना हो गया।
बता दें कि मनीष भंडारी को सुप्रीम कोर्ट से दो दिन पहले ही जमानत मिली थी। मेडिकल काॅलेज में आक्सीजन की कमी से हुई तीन दर्जन बच्चों की मौत के नौ आरोपियों में मनीष भंडारी भी मुख्य आरोपियों में शामिल रहा। उसे एसटीएफ व कैंट पुलिस ने गिरफ्तार किया था। मनीष के खिलाफ 406, 120बी के तहत चार्जसीट दाखिल किया गया था।
गुरुवार को मनीष भंडारी को लेने के लिए उनके पिता और उनके कई शुभचिंतक भी साथ रहे। मीडिया के सवालो से बचते हुए मनीष भंडारी ने जेल से निकलने के बाद सीधे अपनी गाड़ी में बैठ चलता बना।
सुप्रीम कोर्ट ने मंजूर की है भंडारी की जमानत
सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी भंडारी की जमानत मंजूर की है। आक्सीजन सप्लाई रोके जाने के आरोप में पुष्पा सेल्स के मनीष भंडारी करीब सात महीने से जेल में बंद था। हाईकोर्ट से जमानत याचिका खारिज होने के बाद उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय में जमानत की अर्जी दी थी। चीफ जस्टिस दीपक मिश्र, जस्टिस डीआई चंद्रचूड़ व जस्टिस एएम खानवलिकर की पीठ ने जमानत अर्जी पर मंजूरी दी।
क्या है बीआरडी मेडिकल काॅलेज का आक्सीजन कांड
10 अगस्त 2017 का दिन गोरखपुर के चिकित्सीय इतिहास का सबसे काला दिन था। बीआरडी मेडिकल काॅलेज में मरीजों को सप्लाई देने वाले आक्सीजन प्लांट से रात में आक्सीजन खत्म हो गया। वजह यह कि काफी दिनों से बकाया भुगतान नहीं होने की वजह से आक्सीजन सप्लायर पुष्पा सेल्स ने आक्सीजन की सप्लाई बाधित कर दी थी। हालांकि, आक्सीजन सप्लाई रोकने के पूर्व कंपनी ने बीआरडी के जिम्मेदारों से लेकर जिले के जिलाधिकारी, मंडल के कमिश्नर से लेकर शासन के अधिकारियों व मंत्री तक को कई बार रिमांइडर भेज दिया था। लेकिन जबतक मौतों का स्यापा नहीं पसरा तबतक किसी को इस बाबत बात करने की फुर्सत तक नहीं हुई।
आक्सीजन सप्लाई बाधित होने के बाद करीब तीन दर्जन मासूम बच्चों की जान चली गई। करीब डेढ़ दर्जन व्यस्क व्यक्तियों की भी मौत हुई। इसके बाद चारों ओर हाहाकार मच गया। पहले तो सरकार ने इस मामले को दबाने की कोशिश की लेकिन नेशनल-इंटरनेशनल मीडिया की सुर्खियां बनने के बाद मामला तूल पकड़ा। अगले दिन बीआरडी मेडिकल काॅलेज पहुंचे सरकार के सीनियर मंत्री व सरकार की ओर से नामित प्रवक्ता डाॅ.सिद्धार्थनाथ सिंह ने हर साल के आंकड़े दिखाते हुए अगस्त महीने में मौतों को सामान्य आंकड़ा बताने की कोशिश में लगे रहे। उन्होंने यह कह दिया कि अगस्त में तो मौतें होती ही रहती हैं। उनके बयान पर जब सरकार की किरकिरी शुरू हुई तो आनन-फानन में जांच कमेटी गठित हुई। फिर जांच के बाद डीजीएमई केके गुप्ता ने नौ आरोपियों के खिलाफ हजरतगंज थाने में एफआईआर दर्ज कराई। बाद में यह केस गोरखपुर ट्रांसफर कर दिया गया। इसके बाद कुछ की गिरफ्तारियां हुईं तो कुछ ने कोर्ट में सरेंडर किया। फिर कोर्ट कचहरी का दौर शुरू हुआ। करीब आठ महीने से लोकल कोर्ट से लेकर हाईकोर्ट तक सभी जमानत की गुहार लगा रहे लेकिन सभी की याचिका खारिज हो गई। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने आक्सीजन सप्लायर मनीष भंडारी को जमानत दे दी।
Published on:
13 Apr 2018 01:14 pm
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