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गुरु पूर्णिमा: गोरक्ष पीठाधीश्वर ने पहले गुरुओं से लिया आशीर्वाद, फिर दिया सबको आशीर्वाद

पूर्वान्चल के सबसे अहम गोरखनाथ मंदिर में गुरु पूर्णिमा परंपरागत ढंग से मनाया गया

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Yogi on guru purnima

गुरु पूर्णिमा: गोरक्ष पीठाधीश्वर ने पहले गुरुओं से लिया आशीर्वाद, फिर दिया सबको आशीर्वाद

पूर्वान्चल के सबसे अहम गोरखनाथ मंदिर में गुरु पूर्णिमा परंपरागत ढंग से मनाया गया। सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने परंपरा का निर्वहन करते हुए मंदिर के पीठाधीश्वर के रूप में अपने शिष्यों को आशीर्वाद दिया। बारिश के बावजूद दूरदराज से लोग महन्त अदित्यनाथ से आशीर्वाद लेने पहुंचे थे।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी इसी परंपरा को निभाने ल लिए अपने व्यस्ततम कार्यक्रमों में समय निकाल गोरखपुर पहुंचे थे। गुरुवार को गोरखपुर पहुंचे मुख्यमंत्री ने विभिन्न कार्यक्रमों में शिरकत किया। जनपद के बीजेपी कार्यकर्ताओं में मिशन 2019 के लिए मंत्र दिया।
दूसरे दिन परंपरागत पूजन के बाद जनता दर्शन में फरियादियों की सुनवाई की। गुरु पूर्णिमा पर परम्परागत रूप से अपने शिष्यों को आशीर्वाद दिया। इसके बाद इलाहाबाद के लिये रवाना हो गए।

परंपरागत रूप से मंदिर में मनाया जाता है गुरु पूर्णिमा
गुरु पूर्णिमा के अवसर पर सुबह से ही लोगों के आने का सिलसिला शुरू हो गया था।
मंदिर से सुबह पांच बजे से ही विशेष अनुष्ठान शुरू हो गया था। अनुष्ठान के दौरान गोरक्ष पीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ ने गुरु गोरखनाथ का पूजन-अर्चन कर परंपरागत प्रसाद रोट चढ़ाया। फिर मंदिर के सभी विग्रहों का पूजन अर्चन किया गया। इसमें मंदिर के सभी पुजारी व मंदिर से जुड़े लोग शामिल रहे।
फिर इसके बाद योगी आदित्यनाथ ने अपने गुरुओं से आशीर्वाद लिया। इसके बाद मंदिर में जुटे शिष्यों-भक्तों व आमजनों से मुलाकात कर गुरु पूर्णिमा पर परंपरागत ढंग से आशीर्वाद दिया।

मुख्यमंत्री ने दी गुरु पूर्णिमा की बधाई

मुख्यमंत्री ने गुरु पूर्णिमा की बधाई देते हुए कहा है कि भारत की श्रेष्ठ परंपरा ही है जब हमें तमाम अवसर मिलते हैं अपने से श्रेष्ठ जन के प्रति सम्मान व्यक्त करने को। इससे समाज को प्रेरणा मिलती है, नवजीवन के पथ पर प्रकाश का काम करता है। व्यास पूर्णिमा यानी गुरु पूर्णिमा भी उसी परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। उन्होंने बताया कि यह महत्वपूर्ण तिथि इसलिए भी है क्योंकि महर्षि व्यास जी को आदि गुरु के रूप में मान्यता देकर भारत की सनातन परंपरा, भारत के वेदों पुराणों और धार्मिक साहित्य को एक नई दिशा दे कर के इस समाज को प्रेरणा महर्षि व्यास ने दिया है। हम भी अपने गुरुजन, श्रेष्ठ जन के प्रति सम्मान का भाव व्यक्त करते हुए हम भारत की समृद्ध परंपरा को नया आयाम दे सकते हैं।


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