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कार्तिक पूर्णिमा: पवित्र नदियों में लगाई आस्था की डुबकी, जानें क्या है मान्यता, कैसे मिलेगा लाभ

गोरखपुर क्षेत्र में रात भर नदियों के तट पर श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला जारी

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kartik purnima

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गोरखपुर। कार्तिक पूर्णिमा पर पवित्र नदियों में श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई। घाट पर पूजन- अर्चन किया। विभिन्न घाटों पर मेले जैसा दृश्य रहा।
गोरखपुर की सरयू नदी के किनारे भोर से ही श्रद्धालुओं के आने का तांता लग गया था। हर जगह आस्था का जमावड़ा। कार्तिक स्नान के लिए रात से ही लोग आने शुरू हो गए थे।
राप्ती नदी के किनारे महेवा व राजघाट में भी काफी संख्या लोगों की दिखी।

इसी दिन भगवान शंकर ने किया था त्रिपुर का वध

इस दिन का जुड़ाव भगवान शंकर से है। पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान शिव ने इसी दिन त्रिपुर नामक राक्षस का वध किया था। त्रिपुर ने एक लाख वर्ष तक प्रयाग में भारी तपस्या कर ब्रह्मा से मनुष्य और देवताओं के हाथों ना मारे जाने का वरदान हासिल किया था।

उपवास से मिलता 1000 अश्वमेध व सौ राजसूय यज्ञ के बराबर फल

कार्तिक पूर्णिमा बहुत ही पवित्र दिन माना जाता है। इस दिन गंगा स्नान और दान से सभी जन्मों के पापों से मुक्ति मिलती है। इस दिन विधि-विधान से पूजा अर्चना करना ना केवल पवित्र है, बल्कि इससे समृद्धि भी आती है। कष्ट दूर होते हैं। वैदिक मान्यता के मुताबिक इस दिन पूजा करने से कुंडली धन और शनि के दोष दूर होते हैं। तीर्थस्थलों पर यह बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। श्रद्धालु नदियों में स्नान कर दीपदान करते हैं। गोरखपुर, इलाहाबाद, वाराणसी, अयोध्या जैसे तीर्थस्थलों पर श्रद्धालुओं की काफी भीड़ रहती है। वैदिक मान्यता के अनुसार इस दिन उपवास करने से एक हजार अश्वमेध और सौ राजसूय यज्ञ के बराबर फल प्राप्त होता है।


ऐसे करें आराधना

-प्रातः काल शीघ्र उठकर सूर्य देव को जल अर्पित करें। जल में चावल और लाल फूल भी डालें।
-सुबह स्नान के बाद घर के मुख्यद्वार पर अपने हाथों से आम के पत्तों का तोरण बनाकर बांधे।
-सरसों का तेल, तिल, काले वस्त्र आदि किसी जरूरतमंद को दान करें।
-सायंकाल में तुलसी के पास दीपक जलाएं और उनकी परिक्रमा करें।
- ब्राह्मण के साथ ही अपनी बहन, भान्जे, बुआ के बेटे, मामा को भी कोई सामान दान करें।
-चंद्रोदय के समय छः कृतिकाओं शिवा, संभूति, संतति, प्रीति, अनुसूया और क्षमा का पूजन करें। इससे भगवान शिव का आशीर्वाद मिलता है।