
जानिए क्या है NRC और CAA, क्यों मच रहा है इस पर घमासान
नागरिकता संशोधन कानून (CAA) आने के बाद पाकिस्तान, बांग्लादेश से आकर भारत में रह रहे लोगों की चिंताएं बढ़ गई है। यह बात दीगर है कि हिंदू समुदाय के लोग थोड़े आश्वस्त हैं तो मुस्लिम समाज के ऐसे लोग काफी फिक्रमंद। चालीस पचास सालों से लंबी अवधि का वीजा (Long term visa) लेकर रह रहे पाकिस्तानी या बांग्लादेशी नागरिकों के परिजन इस समय सबसे अधिक परेशान हैं। गोरखपुर में पाकिस्तान व बांग्लादेश से आए 14 महिलाएं/पुरुष ऐसे हैं जिनका भरापूरा परिवार है। महज सौ रुपये की फीस अदायगी के बाद ये लोग हर साल अपना वीजा नवीनीकरण (Visa renewal) करा लेते थे। फिलहाल, इनका रिकार्ड बनाया जा रहा है। नए कानून के तहत इनको भारतीय नागरिकता मिल सकती है।
दरअसल, देश के विभिन्न शहरों-गांवों में ऐसे पुरुष व महिलाएं रहते हैं जो पाकिस्तान या बांग्लादेश के हैं लेकिन यहां शादी करके बस गए। इन लोगों के लिए सरकार ने लांग टर्म वीजा (Long term Visa i.e. LTV) का प्राविधान कर रखा था। इस वीजा का हर साल नवीनीकरण कराया जाता है। सौ रुपये शुल्क सालाना अदा कर ये लोग वीजा का नवीनीकरण कराकर यहां रहते हैं।
लेकिन नया कानून बनने के बाद अब एलटीवी (LTV) का प्राविधान स्वतः समाप्त हो जाएगा। इन लोगों को नए कानून के तहत नागरिकता के लिए आवेदन करना होगा। अगर तय प्राविधानों के अंतर्गत इनकी अर्हता हुई तो यहां का नागरिक माना जाएगा नहीं तो इनको वापस जाना होगा।
हालांकि, कानून के जानकार बताते हैं कि यहां रह रहे अधिकतर परिवारों को नए कानून के अंतर्गत नागरिकता मिल सकती है।
उधर, एलआईयू (LIU) अपने स्तर पर इन परिवारों पर नजर बनाए हुए है। विभागीय कागजातों को भी दुरुस्त किया जा रहा है।
यह परिवार रहता है गोरखपुर में
- कोतवाली क्षेत्र के दुगाबाड़ी में रहने वाली रईसा खातून पत्नी सनाउल्लाह पाकिस्तान से 1959 में यहां आईं। यह अपनी मां के साथ आई थीं लेकिन मां अब इस दुनिया में नहीं हैं।
- इलाहीबाग में रहने वाली नाहिद बानो पत्नी स्व. अब्दुल मन्नान 1971 में यहां आईं। तबसे अभी तक एलटीवी पर हैं।
- सन् 1981 में रमादेवी व उनके भाई बसंत कुमार पाकिस्तान से गोरखपुर आए। रमादेवी ने कैंपियरगंज सनोरा के योगेंद्र पाठक से शादी रचा ली और लांग टर्म वीजा पर यहां रह रहीं।
- तिवारीपुर के भटपुरवा घासीकटरा की नासिरा खातून पत्नी दिवंगत मोहम्मद फारूख भी कई दशक से यहां एलटीवी पर रहती हैं। वह 1982 में यहां आई थीं।
- रमादेवी के भाई बसंत कुमार भी दो साल बाद 1983 में पाकिस्तान से आए और गोरखपुर के पीपीगंज में रहते हैं।
- जाफराबाजार की निगहत अनीश पत्नी शमीम पाकिस्तान से सन् 1983 में गोरखपुर पहुंची थीं। अब यहीं रहती हैं।
ये लोग बांग्लादेश से आकर यहां लांगटर्म वीजा पर रह रहे
- सिकरीगंज के दुगौली की भागीरथी साल 1971 में यहां आई थी, तभी से हर साल एलटीवी का नवीनीकरण कराना पड़ता है।
- मोहनलालपुर की नगमा अजीज पत्नी शहजादे 1979 में गोरखपुर आई थीं।
-जंगल तुलसीराम बिछिया की मुजाहिद अजीज पत्नी मो.हाफिज भी 1979 में गोरखपुर आई और यहां तभी से रह रहीं।
- राजघाट तुर्कमानपुर की निगहत अजीज पत्नी आफताब आलम 1979 में गोरखपुर आईं।
-तिवारीपुर के जाफरा बाजार की इशरत फातिमा 1980 में बांग्लादेश से गोरखपुर आई थीं। यहां यह एलटीवी पर रह रहीं।
- बड़हलगंज के ओझौली के गणेश प्रसाद सन् 1982 से गोरखपुर में रह रहे हैं।
- तुर्कमानपुर की ही आसमा आमद पत्नी डॉ. इकबाल साल 2009 में गोरखपुर आईं।
- तुर्कमानपुर की शमीम अहमद पत्नी मो. अबू अयूब 2009 में गोरखपुर में आईं। तभी से एलटीवी पर रह रहीं।
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Published on:
23 Dec 2019 12:10 pm
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