डीडीयू में सम सेमेस्टर की परीक्षाओं के लिए शुल्क जमा करने की तिथि कई बार विस्तारित की गई थी। अंतिम बार 30 मार्च तक परीक्षा शुल्क प्रति छात्र 500 रुपये विलंब शुल्क के साथ जमा करने का आदेश जारी किया गया था। उस दौरान भी कई कॉलेज अपने छात्रों का शुल्क जमा नहीं कर पाए थे। उसके बाद डीडीयू ने साफ कर दिया कि अब तिथि विस्तारित नहीं की जाएगी। डीडीयू प्रशासन से कोई उम्मीद नहीं दिखने के बाद यह खेल शुरू हुआ।
बताते हैं कि तीन-चार अप्रैल को परीक्षा शुल्क के मद में अवैध रूप से पोर्टल खोलकर कुल 40 ट्रांजेक्शन किए गए हैं। इसमें 3 अप्रैल को 17 और 4 अप्रैल को कुल 23 ट्रांजेक्शन किए गए हैं। कुल मिलाकर करीब साढ़े पांच सौ से अधिक विद्यार्थियों का शुल्क तो जमा किया गया लेकिन लेटफीस जमा नहीं किया गया। यानी डीडीयू को करीब पौने तीन लाख रुपये की वित्तीय चोट पहुंचाई। शुल्क जमा होने के बाद सेटिंग के बल पर प्रवेश पत्र भी जेनरेट करा लिया। उधर, कई कॉलेजों ने छात्र हित में परीक्षा शुल्क जमा करने के लिए एक और मौका देने का आग्रह किया था। छात्र हित में डीडीयू प्रशासन ने 9 अप्रैल को परीक्षा शुल्क जमा करने के लिए पोर्टल खोलने का आदेश दे दिया। शेष कॉलेजों ने 500 रुपये विलंब शुल्क के साथ जमा भी कर दिया।
यह शिकायत कॉलेजों की तरफ से ही दर्ज कराई गई है। आरोप था कि उनके साथ दोहरा व्यवहार किया जा रहा है। कॉलेजों ने मांग उठाई थी कि सम्बंधित तीनों कॉलेजों से या तो लेटफीस लिया जाए या सभी कॉलेजों को लेटफीस वापस हो।
कुशीनगर के एक कॉलेज के करीब 530 से अधिक विद्यार्थियों का शुल्क बिना लेट फीस के जमा किया गया है। देवरिया के एक कॉलेज के करीब डेढ दर्जन और दूसरे कॉलेज के करीब एक दर्जन छात्रों का शुल्क बिना लेटफीस जमा हुआ है।
बोले कुलसचिव डीडीयू के कुलसचिव प्रो. शांतनु रस्तोगी ने बताया कि मामला संज्ञान में आया है। इसकी जांच कराई जा रही है। जांच में जो भी दोषी पाए जाएंगे, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।