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UP निकाय चुनाव: देश की पहली किन्नर मेयर आशा देवी, निर्दलीय लड़कर जीत लिया था योगी का गढ़ गोरखपुर

UP Nikay Chunav: 22 साल पहले किन्नर आशा देवी ने गोरखपुर मेयर का चुनाव जीतकर इतिहास रच दिया था।

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gorakhpur mayor seat

आशा देवी के प्रचार के लिए शबनम मौसी समेत कई जिलों से गोरखपुर पहुंचे थे किन्नर

उत्तर प्रदेश में नगर निकाय चुनाव की तारीखों का ऐलान हो गया है। तारीखों के ऐलान के साथ ही चुनावों के कई दिलचस्प किस्से-कहानियां याद की जा रही हैं। ऐसा ही एक किस्सा गोरखपुर का है। साल 2001 के निकाय चुनाव में गोरखपुर में किन्नर आशा देवी ने ऐसा रिकॉर्ड बनाया था कि बड़े-बड़े राजनीतिक सूरमा देखते रह गए थे।


महिला सीट हुई और चुनाव में उतर गईं आशा देवी
गोरखपुर के नरसिंहपुर इलाके के एक छोटे से मकान में रहने वाली किन्नर अमरनाथ यादव उर्फ आशा देवी घर-घर जाकर नाचती गाती थीं। लोग जो नेग देते थे, उसी से उनका गुजर-बसर होता था। 2001 में गोरखपुर में जब मेयर का चुनाव हुआ तो आशा देवी ने इलेक्शन लड़ने का ऐलान कर दिया। सपा, भाजपा और तमाम राजनीतिक दलों के बीच किन्नर आशा देवी ने निर्दलीय चुनाव लड़ा।


इलेक्शन कमीशन ने माना था महिला
2001 में गोरखपुर सीट महिला के लिए आरक्षित थी, ऐसे में आशा देवी उतरीं तो कई लोगों ने उनको महिला ना कहते हुए एतराज जताया। आशा देवी इस पर चुनाव आयोग पहुंची और खुद महिला के तौर चुनाव लड़ने की इजाजत मांगी। आयोग से उनको इजाजत मिल गई। इसके बाद आशा देवी ने पर्चा भरा और चुनाव मैदान में उतर गईं।

सपा और भाजपा की प्रत्याशी मुख्य मुकाबले में भी नहीं कर सकी थीं
आशा देवी जब निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव में उतरीं तो उनकी रैलियों में काफी भीड़ जुटने लगी। सियासी जानकारों ने कहा कि ये भीड़ वोट में नहीं बदलेगी लेकिन नतीजों में वो सब गलत साबित हुए।

गोरखपुर में 2001 के निकाय चुनाव के नतीजे आए तो उन्होंने सपा और भाजपा को चौंका दिया। नतीजे आए तो सपा और भाजपा की कैंडिडेट मुख्य मुकाबले में भी नहीं दिखीं। उन्होंने सपा की प्रत्याश अंजू चौधरी को 60 हजार से ज्यादा वोटों से हराया।


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जीतीं तो अपने रिक्शा पर लगा ली थी लाल बत्ती
इलेक्शन जीतकर आशा देवी ने एक इतिहास भी लिख दिया। वो गोरखपुर और यूपी ही नहीं देश की भी पहली किन्नर किन्नर थीं, जो मेयर बनीं। चुनाव जीतने के बाद आशा देवी ने रिक्शे से नगर निगम जाने का ऐलान किया। उन्होंने रिक्शा पर ही लाल बत्ती लगा ली थी। देश की पहली किन्नर के मेयर के रूप में शपथ लेकर इतिहास रचने वाली आशा देवी का 2013 में निधन हो गया था।