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करोड़ों के घोटाले में गिरफ्तार इस अधिकारी के खिलाफ कोर्ट ने दिया ये आदेश, हो सकते हैं अहम खुलासे

करोड़ों रुपये के घोटाले में इस आइएएस अधिकारी को न्यायिक हिरासत के साथ मिली पुलिस रिमांड।

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ग्रेटर नोएडा। जमीन घोटाले के आरोपी यमुना प्राधिकरण के पूर्व सीईओ पीसी गुप्ता को पुलिस ने मेरठ की एंटी करप्शन कोर्ट में पेश किया। दरअसल पीसी गुप्ता को नोएडा पुलिस ने मध्य प्रदेश के दतिया से गिरफ्तार किया था। कोर्ट ने आरोपी की 14 दिन की न्यायिक हिरासत के साथ ही 10 दिन की पुलिस रिमांड मंजूर कर दी।

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पुलिस को मिली दस दिन की पुलिस रिमांड मंजूरी के बाद नोएडा पुलिस पीसी गुप्ता को मेरठ जेल से लेकर नोएडा आई। जहां पूछताछ कर यह जानने की कोशिश की जाएगी कि इस घोटाले में कौन-कौन लोग शामिल हैं। किन लोगों के इशारे पर यह पूरा घोटाला हुआ तथा इस तरह के और कितने घोटाले हुए हैं। पीसी गुप्ता को 126 करोड़ रुपये के जमीन घोटाले में शुक्रवार को नोएडा पुलिस ने मध्य प्रदेश के दतिया जनपद के पीताम्बरा पीठ मंदिर से गिरफ्तार किया था। शनिवार तड़के नोएडा पुलिस उन्हें लेकर थाना कासना पहुंची। लंबी पूछताछ के बाद उन्हें मेरठ जिला स्थित भ्रष्टाचार निरोधक अदालत में पेश किया गया।

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गौतमबुद्धनगर एसएसपी डॉ अजयपाल शर्मा ने बताया कि पुलिस ने पूछताछ के लिए कोर्ट से 14 दिन के लिए रिमांड मांगी थी, लेकिन न्यायालय ने 10 दिन की ही रिमांड मंजूर की है। अब पुलिस उन बातों की पुष्टि करेगी जो खुलासे पीसी गुप्ता ने जमीन घोटाले के बारे में किए हैं। साथ ही इसमें शामिल कई अधिकारी, नेताओं और अन्य लोगों के नाम बताए हैं। एसएसपी ने बताया कि गुप्ता ने पुलिस को कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां दी हैं, जिनकी पुष्टि के आधार पर इस मामले में कुछ सफेदपोश लोगों के खिलाफ भी कार्रवाई हो सकती है। उन्होंने बताया कि गुप्ता से पूछताछ के लिए एक लंबी सूची तैयार की गई है। उन्होंने बताया कि गुप्ता से पूछताछ के दौरान कुछ अहम सुराग मिले हैं।जिसके आधार पर इस मामले के अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी के प्रयास किए जा रहे हैं।

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आपको बता दें कि यमुना औद्योगिक विकास प्राधिकरण में तैनात इंस्पेक्टर गजेंद्र सिंह ने थाना कासना में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि प्राधिकरण के अंतर्गत आने वाले जनपद मथुरा के सात गांव शिव पट्टी बांगर, शिव पट्टी खादर, कैलाना बांगर, कैलाना खादर, सोनपुर बांगर, नौझील बांगर आदि की 97 हेक्टेयर भूमि को कई फर्जी कंपनियां बनाकर खरीदा गया तथा मास्टर प्लान में यह क्षेत्र नहीं होने के बावजूद इस जमीन का यमुना विकास प्राधिकरण द्वारा अधिग्रहण किया गया।