
चंद्रशेखर आजाद की जयंती पर विशेष: नोएडा में आकर छिपे थे चंद्रशेखर, राजगुरु और सुखदेव, बनाए थे बम
ग्रेटर नोएडा. चंद्रेशेखर आजाद का जन्म मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले के भावरा गांव में 23 जुलाई 1906 को हुआ था। इनके पिता पंडित सीताराम तिवारी संवत यूपी के उन्नाव जिले के बदरका गांव को छोड़कर अलीराजपुर राज्य में रहे। उसके बाद मेंं भावरा गांव में बस गए थे। भावरा गांव में चंद्रशेखर का जन्म हुआ। चंद्रशेखर के पिता पंडित सीताराम तिवारी बहुत ही साहसी, स्वाभिमानी, हठी और वचन के पक्के थे। दूसरों पर जुलम सहन नही कर सकते थे और खुद पर। पिता की ईमानदारी और स्वाभिमानी का असर आजाद को विरासत में सीखे थे। यहीं वजह है कि उन्हें महान क्रांतिकारी के रुप में जाना जाता है। नोएडा के गांव नलगढ़ा ने भी आजादी के दौरान अहम भूमिका रही। यहां महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद, सुखदेव और राजगुरु ने बम बनाए थें
चंद्रशेखर आजाद, राजगुरु और सुखदेव यहां कई साल छिपकर रहे। इसी गांव में इन क्रांतिकारियों ने बम बनाए थे और अंग्रेज के खिलाफ हमले की साजिश रची। बम बनाने के लिए बारूद व अन्य सामग्रियों को जिस पत्थर पर रखा जाता था, आज भी वह गांव में मौजूद। पत्थर में दो गड्ढे हैं, जिसमें बारूद को मिलाया जाता था। हाईटेक सिटी का यह गांव आज प्रशासन और अथॉरिटी की नजर में दूर है। सरकार की उदासीनता के चलते इस जगह को सजोने का प्रयास नहीं किया गया है। यहां के कोंडली गांव के पास में शहीद आजाद के नाम पर पार्क तो डवलप किया गया है, लेकिन अभी वह अधूरा पड़ा हुआ है। स्थानीय सांसद डॉ. महेश शर्मा पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के वादे तो कर चुके है, लेकिन अभी अमली जामा नहीं पहनाया गया है।
नोएडा-ग्रेटर नोएडा के एक्स्रपेस-वे के सेक्टर-145 स्थित नलगढ़ा गांव हरनंदी (हिंडन) और यमुना नदी के बीच स्थित है। कभी घने जंगल से होकर गांव तक पहुंचा जाता था। यहीं वजह थी कि अंग्रेजों का यहां पहुचना आसान नहीं था। यहीं शहीद विजय सिंह पथिक का आश्रम था। आश्रम में गांवों के नौजवानों को आजादी की लड़ाई के लिए प्रशिक्षण दिया जाता था। देश के अन्य क्रांतिकारियों ने इसे अपना अड्डा बना लिया और चंद्रशेखर आजाद, सुखदेव, राजगुरू, व भगत सिंह जैसे महान क्रांतिकारियों ने भी यहां पनाह ली थी। दिल्ली नजदीक होने की वजह से यह गांव क्रांतिकारी नलगढ़ा को सुरक्षित ठिकाना बना चुके थे।
विजय सिंह पथिक के आश्रम में बम बनाए गए थे। बम बनाने के गांव में आज भी निशान बचे है। अंग्रेजी हुकुमत के दौरान असेंबली में बम फेंका गया था, वह भी यहीं नलगढ़ा में बनाया था। यहां रहने वाले सिंधु परिवार के करनैल सिंह ने क्रांतिकारियों का साथ दिया और ये सुभाष चंद्र बोस का भाषण पढ़ते थे। उनका परिवार इसी गांव मेंं आज भी रहता है।
कागजों में सिमट गई प्लानिंग
नोएड अथॉरिटी ने ऐतिहासिक गांव नलगढ़ा को चमकाने व आश्रम का जीर्णोद्दार करने की कर्इ बार योजना बनाई थी। 2001 मेें करीब 18 साल पहले प्लानिंग की गर्इ थी। उस समय प्राधिकरण की तरफ से स्मारक के लिए 53 हजार 260 वर्ग मीटर जमीन आरक्षित की। यह लोकेशन महामाया फ्लाईओवर से 15 किलोमीटर दूरी पर है। यह दिल्ली के आईटीओ से लगभग 25 किलोमीटर दूरी पर मौजूद होने की वजह से यहां एक म्यूजियम बनाया जाना है। यहां क्रांतिकारियों की यादों को संजो जा कसे और शहीद भगत सिंह की जीवनगाथा पत्थरों पर अंकित की जानी है। क्रांकिारियों के जीवन से जुड़ी हुई गाथाओं के बारे में युवा पीढी को अवगत कराने के लिए एक लाईब्रेरी भी बनाई जानी है। उधर स्थानीय सांसद और केंद्रीय मंत्री डॉक्टर महेश शर्मा ने भी इस गांव को टूरिज्म स्थल के रुप में डिवलेप करने का वादा किया था। दरअसल में यह दिल्ली के नजदीक है। यहां के अक्षरधाम, प्ररेणा स्थल और यूपी का आगरा भी पर्यटक जा सकते है। वहीें अथॉरिटी की तरफ से कोडली गांव में पार्क भी तैयार किया जा रहा है। इसमें क्रांतिक्र्ररियों की प्रतिमा लगाई जानी है।
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Updated on:
23 Jul 2018 03:13 pm
Published on:
23 Jul 2018 11:18 am
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