
नए साल में देश के सबसे बड़े एयरपोर्ट की रखी जाएगी नींव
ग्रेटर नोएडा. जेवर में प्रस्तावित इंटरनेशनल एयरपोर्ट के लिए जमीन अधिग्रहण का रास्ता साफ हो गया है। लगभग 72 प्रतिशत किसानों ने जमीन देने के लिए लिखित सहमति दे दी है। जिला प्रशासन ने भूमि अधिग्रहण के लिए जरूरी औपचारिकताएं पूरी कर प्रस्ताव शासन को भेज दिया गया है। संभावना है कि शीघ्र ही शासन की ओर से भूमि अधिग्रहण अधिनियम की धारा-11 ए के तहत जल्द ही अधिसूचना जारी कर दी जाएगी।
जिलाधिकारी बीएन सिंह ने बताया कि जेवर एयरपोर्ट के लिए जमीन अधिग्रहण के लिए भूमि अर्जन और पुनव्र्यव्स्थापन के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने 11 जनवरी-2018 को सोशल इंपैक्ट असेसमेंट स्टडी (एसआईए) के लिए गौतमबुद्ध विश्वविद्यालय को प्राधिकृत किया था। 28 मई से 2 जून तक परियोजना से प्रभावित गांवों में कैंप लगाकर उप-जिलाधिकारी जेवर की अध्यक्षता में एसआईए के सदस्यों ने यमुना प्राधिकरण के अफसरों की मौजूदगी में लोक सुनवाई की। डीएम ने बताया कि 10 अक्टूबर को शासन ने एसआईए की रिपोर्ट पर अपनी संस्तुति दे दी थी।
डीएम ने बताया कि जेवर में प्रस्तावित नोएडा ग्रीन फील्ड इंटरनेशनल एयरपोर्ट के निर्माण के लिए 1334 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया जाना है। जिसके लिए 1239 हेक्टेयर जमीन किसानों की अधिग्रहित की जानी है। एयरपोर्ट का निर्माण जेवर के रोही, दयानतपुर, पारोही, किशोरपुर, रन्हेरा, और बनवारी बांस गांव की जमीन पर होना है। इसमें 1239 हेक्टेयर भूमि किसानों की और शेष 94.8584 हेक्टेयर भूमि सरकारी है। एसआईए की रिपोर्ट के अनुसार प्रभावित परिवारों की संख्या 5905 है, जिसमें 5007 किसान परिवार है। जबकि 898 परिवार भूमिहीन हैं। उन्होंने बताया कि इस परियोजना में तीन गांवों रोही, दयानतपुर और किशोरपुर में अनुमानित 1775 परिवारों के विस्थापित होने की संभावना है। परियोजना से प्रभावित कुल परिवारों के सापेक्ष 4235 परिवारों ने अपनी सहमति दे दी है, जो लगभग 72 प्रतिशत है। जबकि अधिनियम के मुताबिक यह कम से कम 70 प्रतिशत होनी चाहिए।
Published on:
18 Oct 2018 12:52 pm
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