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COP-14 में बोले पीएम मोदी- सिंगल यूज प्‍लास्टिक को गुडबाय बोलने का समय आ गया

Highlights Greater Noida के एक्‍सपो मार्ट में पहुंचे PM Narendra Modi COP 14 सम्‍मेलन में पानी की समस्‍या को सबके सामने रखा कहा- भारत का वनक्षेत्र .8 मिलयन हेक्‍टेयर बढ़ा है

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ग्रेटर नोएडा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ( PM Narendra Modi ) सोमवार को ग्रेटर नोएडा के एक्‍सपो मार्ट ( Expo Mart ) में कॉप-14 ( COP 14 ) सम्मलेन में हिस्‍सा लेने पहुंचे। वहां उन्‍होंने सम्‍मेलन को संबोधित किया। इस दौरान उन्‍होंने पानी की समस्‍या को सबके सामने रखा।

'जलसंकट को देखते हुए बनाया गया मंत्रालय'

कॉप-14 सम्मलेन में प्रधानमंत्री ने पानी की समस्‍या को लेकर कहा कि भारत में जलसकंट को देखते हुए जलशक्ति मंत्रालय बनाया गया था। दुनिया में यह समस्या काफी बढ़ गई है। उन्‍होंने इस पर एक सेमिनार बुलाने की बात कही, जिसमें इसका हल निकाला जा सके। भारत ने इस समस्‍या के निपटारे की ओर कदम बढ़ाया है। यहां पानी बचाने और उसके सही इस्‍तेमाल पर काम शुरू हो चुका है।

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'किसानों की आय को दोगुना करने की ओर बढ़ रही सरकार'

साथ ही उन्‍होंने भारत में पेड़ों की संख्‍या बढ़ने का भी उल्‍लेख किया। उन्‍होंने कहा कि भारत का वनक्षेत्र .8 मिलयन हेक्‍टेयर बढ़ा है। देश में अभी जंगल के हिस्से को और भी बढ़ाने पर कार्य हो रहा है। उन्‍होंने ऐलान किया कि भारत बंजर जमीन को उपजाऊ बनाने की ओर कार्य कर रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत 2030 तक 21 मिलियन हेक्टेयर्स से लेकर 26 मिलियन हेक्टयर्स बंजर भूमि को उपजाऊ करेगा। सरकार किसानों की आय को दोगुना करने की ओर भी बढ़ रही है।

'सिंगल यूज प्‍लास्टिक बंद हो जाएगी'

सिंगल प्‍लास्टिक को लेकर प्रधानमंत्री ने कहा कि सिंगल यूज प्‍लास्टिक को गुडबाय कहने का समय आ गया है। भारत इस ओर कदम बढ़ा चुका है। प्‍लास्टिक का कचरा स्‍वास्‍थ्‍य और धरती की उर्वरता के लिए भी समस्‍या है। कुछ दिन में सिंगल यूज प्‍लास्टिक बंद हो जाएगी। साथ ही उन्‍होंने यह भी कहा कि पर्यावरण संरक्षण के लिए भारत हर तरह का सहयोग करेगा।

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190 से अधिक देशों के प्रतिनिधि कर रहे हैं शिरकत

आपको बता दें कि संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन टू कॉम्बैट डेजर्टिफिकेशन ( UNCCD ) के तहत अयोजित होने वाले इस सम्‍मेलन का शुभारंभ 2 सितंबर को हुआ था। इसका मकसद दुनिया को बढ़ते मरुस्थलीकरण से बचाना है। 14वें सम्‍मेलन की मेजबानी भारत कर रहा है। इसमें 190 से अधिक देशों के प्रतिनिधि शिकरत कर रहे हैं। इसमें दुनिया भर के वैज्ञानिक समस्याओं और उनसे निपटने के तरीकों को साझा कर चुके हैं।

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