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ग्रेटर नोएडा

चंबल की यह दस्यु सुंदरी चली फूलन देवी की राह, इस राष्ट्रीय पार्टी से सांसद का लड़ेगी चुनाव

चंबल का नाम जेहन में आते ही डकैतों की तस्वीर उकर आती है। ददुआ, निर्भय गुर्जर, मलखान सिंह जैसे डकैत एक समय में खौफ का पर्याय रहे है।

ग्रेटर नोएडाNov 16, 2018 / 09:52 am

virendra sharma

नोएडा. चंबल का नाम जेहन में आते ही डकैतों की तस्वीर उकर आती है। ददुआ, निर्भय गुर्जर, मलखान सिंह जैसे डकैत एक समय में खौफ का पर्याय रहे है। इनमें एक डकैत ऐसा भी था, जो गिरोह में लड़कियों को रखता था। इनमें नीलम गुप्ता, सीमा परिहार जैसे नाम शामिल रहे है। इन्हें दस्यु सुंदरी कहा जाता था। एक दशक में चंबल की घाटी में बंदूक के दम पर लोहा मनवाने वाली ये दस्यु सुंदरी आज राजनीति में भी बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रही है। गौतम बुद्ध नगर लोकसभा सीट से पहले ही दस्यु सुंदरी सीमा परिहार चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुकी है। जिससे राजनीति जगत में हलचल मच गई है।
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यह कहना गलत नहीं होगा कि सीमा परिहार भी फूलन देवी की राह पर चल निकली है। फूलन देवी ने 1996 में हुए लोकसभा चुनाव समाजवादी पार्टी से मिर्जापुर-भदौही सीट से लड़ा था। फूलन देवी भारी मतों से जीतकर लोकसभा पहुंची। वहीं ग्रेटर नोएडा एक निजी कार्यक्रम मेंं हिस्सा लेनी आई सीमा परिहार ने चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। सीमा परिहार चंबल के खूंखार डकैत निर्भय गुर्जर की पत्नी रही है। सीमा परिहार ने कहा कि 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव लड़ने की पूरी तैयारी है। दलित वोट बैंक पर सीमा परिहार की नजर है। उन्होेंने बताया कि समाज सेवा के लिए राजनीति जरुरी है। सीमा परिहार ने कहा कि औरेया व इटावा से चुनाव नहीं लड़ना चाहती है। उन्होंने चुनाव के लिए वेस्ट यूपी को चुना है। इससे पहले सीमा परिहार 2007 में मिर्जापुर की भदोही सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा था। चर्चा है कि ये लोकसभा 2019 का चुनाव समाजवादी पार्टी से लड सकती है।
दलित वोट बैंक पर नजर

ठाकुर जाति से संबंध रखने वाली सीमा परिहार ने विकास और दबे कुचलों को उभारने का खुद का चुनावी एजेंड़ा बनाया है। गौतम बुद्ध नगर में ठाकुर निर्णायक भूमिका में है। वहीं निर्भय गुर्जर की पत्नी की वजह से गुर्जर वोट मिलने की भी उन्हें उम्मीद है। उन्होंने बताया कि दबे कुचलों के अलावा दलितों के मुद्दों को उठाना उनकी प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि कई साल से अंबेडकर की प्रतिमा दनकौर कोतवाली में रखी हुई है। उस प्रतिमा को लगवाने के लिए जल्द ही डीएम को ज्ञापन सौंपा जाएगा। प्रतिमा को नहीं लगाई जाती है तो आंदोलन भी किया जाएगा। एक तरफ जहां सीमा परिहार की दलित बोट बैंक पर नजर है।
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कौन हैं सीमा परिहार

उत्तर प्रदेश के ओरैया जिले के दिबियापुर की रहने वाली सीमा परिहार ने 13 वर्ष की उम्र में हथियार उठा लिया था। सीमा का कहना था कि उनके पिता गांव में शादी नहीं करना चाहते थे। इससे डकैत लालाराम नाराज हो गया था। जब वह 13 साल की थी तो लालाराम ने उनका अपहरण कर लिया था। इसके बाद उन्होंने हथियार उठा लिए थे। फिर लाला राम और निर्भय गुर्जर में गैंगवार हुई। बाद में उनकी शादी निर्भय गुर्जर से हुई थी। 90 के दशक तक सीमा का खौफ बीहड़ों में फैल चुका था। वर्ष 2003 में समर्पण करने के बाद 2004 में उन्होंने इंडियन जस्टिस पार्टी की सदस्यता ली थी। उनके जीवन पर बॉलीवुड फिल्म भी बन चुकी है, जिसमें उन्होंने अपना किरदार खुद निभाया था। 2005 में लंदन के एक्सपो फिल्म फेस्टिवल में इसको क्रिटिक्स अवार्ड भी मिला था। इसके अलावा वह 2010 में बिग बॉस की मेहमान भी रह चुकी हैं। सीमा परिहार पर 70 से ज्यादा हत्या और 200 अपहरण के आरोप लगे थे। उन्होंने बताया कि फिलहाल 2 ही केस विचाराधीन हैं। बाकी में बरी हो चुकी हैं।
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