
प्रधानमंत्री के खिलाफ यह समाज उतरा सड़कों पर
नोएडा. एससी/एसटी एक्ट संशोधन बिल के विरोध मेंं सवर्ण समाज ने बिगुल बजा दिया है। सवर्ण समाज के लोगों ने बिल को तानाशाही वाला बताया है। अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा के पदाधिकारियों की माने तो सवर्ण समाज और ओबीसी वर्ग बिल को लेकर आहत है। समाज इसका विरोध करता है। समाज के लोग इससे पहले भी बिल के विरोध में देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नाम ज्ञापन सौंपा चुके है। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार के खिलाफ 24 अगस्त को पंचायत की जाएगी। पंचायत में आगे की रणनीति तय की जाएगी। उन्होंने बताया कि अगर बिल को लागू किया जाता है तो केंद्र सरकार को 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव के दौरान खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।
अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा के राष्ट्रीय संयोजक युवा मोर्चा पंडित रविंद्र शर्मा ने बताया कि दादरी स्थित कालकाजी मंदिर में 19 अगस्त को मीटिंग होनी थी। इसमें भारतीय किसान यूनियन लोकशक्ति, क्षत्रिय व अन्य समाज के लोग शामिल होने थे। उन्होंने बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी के आकस्मिक निधन की वजह से मीटिंग टाल दी गई थी। अब यह मीटिंग 24 अगस्त को होगी। उन्होंने बताया कि देश में पहले से ही जाति आधारित आरक्षण व्यवस्था से हिंदुओं में दूरियां बढ़ रही है। आरक्षण की वजह से शिक्षित युवा वर्ग बेरोजगार है।
उन्होंने बताया कि एससी एसटी बिल के संशोधन के बाद लागू होने से हिंदूओं में आपसी रंजिशें बढ़ेंगी। फायदा इस्लामिक ताकतें उठा सकती है। अगर इस कानून में संशोधन नहीं किया गया तो सवर्ण और ओबीसी वर्ग के किसी भी व्यक्ति को फर्जी केस के जरिए फंसाया जा सकता है। बिल की वजह से बगैर जांच ही पुलिस जेल भेज देगी। ऐसा पहले भी हो चुका है। साथ ही यह दुश्मनी निकालने का एक बड़ा हथियार होगा। दलितों के प्रति जरनल वर्ग में घृणा पैदा होगी। इसलिए अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा इस संशोधन का विरोध करती है। अखिल भरतीय ब्राह्मण महासभा के जिलाध्यक्ष पंडित अशोक वैद्य ने बताया कि बिल में पुन संशोधन की मांग पदाधिकारियों की तरफ से की गई है। उन्होंने बताया कि अगर बिल को वापस नहीं लिया जाता है तो केंद्र सरकार को नुकसान उठाना पड़ सकता है।
Published on:
20 Aug 2018 04:53 pm
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