22 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

शिक्षा विभाग में अटैचमेंट का खेल, यहां नहीं चलते कोई नियम-कायदे

बीआरसी ऑफिस में अटैच, एक वर्ष से स्कूल ही नहीं गए शिक्षक, मांगी जानकारी तो खुली पोल व्यवस्था के नाम पर दूसरे शिक्षक भी अटैच

3 min read
Google source verification

गुना

image

Praveen Mishra

Apr 17, 2023

शिक्षा विभाग में अटैचमेंट का खेल, यहां नहीं चलते कोई नियम-कायदे

शिक्षा विभाग में अटैचमेंट का खेल, यहां नहीं चलते कोई नियम-कायदे

गुना. प्रदेश सरकार और शिक्षा विभाग के नियम-कायदे बमौरी ब्लॉक में बिल्कुल नहीं चलते हैं। शिक्षा विभाग में तो अटैचमेंट के नाम पर नया खेल बड़ी तेजी से चल रहा है। रोक के बावजूद भी डेढ़ दर्जन से अधिक लोग अटैचमेंट के नाम पर पड़ोस की शाला या मलाईदार कुर्सी पर जमे हुए हैं। ऐसा ही एक मामला बमौरी विधानसभा क्षेत्र के शासकीय प्राथमिक विद्यालय चक कांसल का सामने आया जहां दूसरे स्टाफ की मानें तो यहां पदस्थ शिक्षक मुनेश रजक बीते एक वर्ष से स्कूल नहीं आए। प्रभारी प्रधाध्यापक ऊषा गहलोत की मानें तो रजक दो माह से नहीं आए। जब उनसे हाजिरी रजिस्टर दिखाने को कहा तो टालमटोल जवाब देती रहीं, लेकिन हाजिरी रजिस्टर नहीं दिखाया। दूसरे स्टाफ ने बताया कि रजिस्टर यहां नहीं रखा जाता है।

पत्रिका टीम जब चक कांसल स्थित प्राइमरी स्कूल पहुंची तो वहां प्राइमरी बोर्ड परीक्षाएं चल रही थीं, यहां लगभग 49 बच्चे परीक्षा दे रहे थे। यहां परीक्षा प्रभारी के रूप में इरशाद हुसैन दिखाई दिए। जब उनसे परीक्षा मेें लगे दूसरे शिक्षकों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने गोपाल मीना, कन्हैयालाल नागर, उमा शर्मा और अंग्रेजी सिंह शिक्षक की ड्यूटी होना बताया।

दो माह से नहीं आए मुनेश: प्रभारी

चक कांसल स्थित इस स्कूल की प्रभारी उषा गहलोत से स्टाफ के बारे में जानकारी ली तो उन्होंने बताया कि इस विद्यालय में मुनेश रजक, मनमोहन किरार, उमा शर्मा, सोनम यादव की नियुक्ति है। उन्होंने मुनेश रजक के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि मुनेश रजक नहीं आए हैं, वे बीआरसी कार्यालय में शैक्षणिक व्यवस्थ में ड्यूटी पर लगे हुए हैं। जबकि ग्रामीण और छात्रों के अनुसार शिक्षक मुनेश रजक को पिछले एक वर्ष में शाला में हमने कभी नहीं देखा है। जबकि वरिष्ठ कार्यालय भोपाल द्वारा स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि किसी भी शिक्षक को गैर शैक्षणिक कार्य व शैक्षणिक कार्य के लिए भी किसी भी परिस्थिति में मूल पदस्थ शाला से अन्य शाला में नहीं भेजा जाए इसके लिए डीडीओ से शपथ पत्र भी लिया गया था की समस्त शिक्षक मूल पंदाकित शाला में ही पदस्थ हैं और वहीं पर कार्य कर रहे हैं लेकिन स्थानीय अधिकारियों की मर्जी के आगे यहां कोई नियम न चलते दिखाई दिए।

पूर्व में भी हुआ था खुलासा

ऐसा ही एक मामला कुछ वर्ष पूर्व गुना में प्रकाश में आया था जब बमोरी ब्लॉक के शिक्षक लइक खान को गुना ब्लॉक में लगभग 3 वर्ष तक व्यवस्था के नाम पर अटैच किया गया और कहीं कोई हस्ताक्षर भी नहीं कराए गए जिसमें संबंधित शिक्षक से ली गई वेतन की वसूली की चर्चाएं भी चली थी लेकिन प्रशासन तंत्र ऐसा है जिसमें चर्चाएं और आदेश तो खूब चलते हैं सुविधा शुल्क मिलते ही पता नहीं रास्ते में कहां गुम हो जाते है और संबंधित तक नहीं पहुंच पाते ना क्रियान्वयन हो पाता है पत्रिका द्वारा जब इस मामले की खोजबीन की गई तो पता चला कि यह शिक्षक विगत 2 वर्ष से बीआरसी ऑफिस में व्यवस्था के नाम पर अटैच है।

सूत्र बताते हैं कि व्यवस्था के नाम पर केवल एक यही शिक्षक नहीं है विकासखंड में कई ऐसे शिक्षक हैं जिन्हें व्यवस्था के नाम पर अटैच किया गया है सरदारों के मौजा के दिनेश साहू चाहे माध्यमिक विद्यालय भतोदिया के संतोष नामदेव कहीं ना कहीं किसी न किसी रूप में व्यवस्था के नाम पर ड्यूटी लगाई जाती रही या निर्वाचन कार्यालय में जितेंद्र शर्मा यह स्थिति केवल बमोरी में ही नहीं है शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय म्याना के प्राचार्य द्वारा भी नियमित रूप से शिक्षकों को अपने विद्यालय में शैक्षणिक व्यवस्था के नाम पर अटैचमेंट मधु पटेल, नरगिस मंसूरी इनके अतिरिक्त भी कई नाम है जिन्हें लगातार शिक्षण व्यवस्था के नाम पर लगाया जाता रहा है जबकि शासन द्वारा प्रत्येक रिक्त पद पर अतिथि रखने की समुचित व्यवस्था की गई है।

सूत्रों ने बताया कि शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय क्रमांक 2 में पदस्थ राजेंद्र साहू बमोरी जन शिक्षा केंद्र के छतर सिंह लोधा कॉलोनी जन शिक्षा केंद्र के मनमोहन लोधा, शिवप्रताप रघुवंशी ऐसे कई उदाहरण हैं जिन्हें 4 वर्ष पूरे होने के बाद भी कार्य अनुमति के नाम पर पुन: वही कार्य सौंप दिया गया जबकि यह कार्य अनुमति किसी अन्य शिक्षक को दी जा सकती थी इनमें छतर सिंह लोधा तो लगभग 6 वर्ष जन शिक्षक के रूप में लगातार सेवाएं दे चुके हैं और आज भी ***** में पहुंचने के बाद कार्य अनुमति के नाम पर उनकी सेवाएं चालू हैं।