जनपदों के सीईओ को नोटिस देने के निर्देश सरपंच, दो सचिव का निकलेगा जेल वारंट
गुना. महात्मा गांधी रोजगार गारंटी अधिनियत के तहत श्रमिकों को 90-90 दिन का काम देने के बाद उनकी जानकारी पोर्टल पर दर्ज नहीं कराई है। इस पर जिला पंचायत सीईओ नीतू माथुर ने गुना, आरोन, राघौगढ़, बमोरी और चांचौड़ा के एपीओ का तीन-तीन दिन का वेतन राजसात किया है। प्रगति कम होने पर जनपदों के सीईओ को भी नोटिस देने की तैयारी है। उधर, खटकिया पंचायत में आंगनवाड़ी और पंचायत भवन अधूरा होने पर सरपंच और दो सचिवों के खिलाफ जेल वारंट निकालने की तैयारी की गई है।
दरअसल, 4 फरवरी की मनरेगा की समीक्षा बैठक में यह कमी मिली थी कि जिला स्तर पर श्रमिकों के बारे में जानकारी सोफ्टवेयर में अपलोड नहीं की जा रही है। इसके अलावा भोपाल से निर्देश मिल रहे हैं, इसके बाद भी उनका पालन नहीं हो पाया। अतिरिक्त कार्यक्रम अधिकारी मनरेगा जनपद पंचायतों द्वारा प्रधानमंत्री आवास के पीएमएवाइ पोर्टल पर प्रदर्शित कार्यों पर 90 दिवस का रोजगार योजना अंतर्गत मनरेगा सॉफ्ट में सीसी जारी नहीं कराई गई है। निर्देशों के बाद भी लेबर नियोजन की प्रगति नहीं बढ़ाई गई। इसको लेकर अपर मुख्य सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने भी नाराजगी जताई है।
मनरेगा सॉफ्ट में ऐसे दर्ज किए आंकड़े
मनरेगा सॉफ्ट में जनपद पंचायत आरोन द्वारा 105, बमोरी ने 209, चांचौड़ा ने 1058, गुना में 557 एवं राघौगढ़ 789 के मस्टर रोल बनने और भुगतान होने के बाद भी जानकारी दर्ज नहीं की गई। जनपद पंचायत के स्वीकृत लेबर बजट के विरुद्ध प्रगति भी न्यून रही है। जनपद पंचायत आरोन में 1116 निर्माण कार्यों के विरुद्ध 122, बमोरी में 1453 के 156, चांचौड़ा में 4119 के विरुद्ध 493, गुना में 2647 के विरुद्ध 213 और राघौगढ़ में 2703 के विरुद्ध 271 के ही मस्टर जारी किए हैं। लेकिन लेबर भुगतान नहीं हो सका।
खटकिया सरपंच और यहां के 2 सचिवों का निकलेगा जेल वारंट
खटकिया पंचायत में पंचायत भवन अधूरा पड़ा है। इसके अलावा निजामपुर में आंगनवाड़ी भवन का निर्माण भी पूरा नहीं हो पाया। उनको सात दिन का समय दिया है। तीन दिन निकल चुके हैं। सात दिन काम पूरा नहीं किया तो सरपंच मिश्रीलाल अहिरवार और सचिव प्रेमनारायण मीना और दीवान सिंह के खिलाफ जेल वारंट निकाला जाएगा।
शहरी क्षेत्र में आवास का धीमा निर्माण
उधर, शहरी क्षेत्र में भी पीएम आवास का निर्माण काफी धीमा है। जिला मुख्यालय पर ही 1800 आवास बनाए जा रहे हैं। पत्रकार कालोनी के पास 1300 आवासों के लिए आवेदन मांगे थे, लेकिन जितने लोग आवास के लिए पात्र हुए, उनमें से कम लोगों ने ही 20-20 हजार रुपए की राशि जमा की। इसके अलावा यहां पर निर्माण भी पूरा नहीं हो पाया है। उधर, दूसरे नगरीय क्षेत्रों में भी आवास बनाने की प्रगति काफी कम है। र्देश के बाद भी निर्माण पूरा नहीं किया। इसलिए कदम उठा रहे हैं।