
विजयपुर। कोरोना की वजह से वैसे ही सबसे अधिक मार मजदूरों व मध्यमवर्ग पर पड़ा है। सरकारों के दावों पर साहबान लगातार सहयोग के दावे तो कर रहे लेकिन हकीकत एकदम जुदा है। अधिकतर मदद कागजों में ही सिमट कर रह गया है। जीविकोपार्जन के लिए सरकार ने मजदूरों के खाते में एक-एक हजार रुपये खाते में भेजने का ऐलान किया है लेकिन मजदूरों के खाते में पैसा आने का मैसेज तो आ जा रहा परंतु एक हजार रुपये की धनराशि नहीं आ रही। परेशान मजदूर जिम्मेदारों के दर पर चक्कर लगा रहे लेकिन कोई जवाब भी उनको नहीं मिल पा रहा।
लाॅकडाउन को सत्तर दिन हो चुके हैं। मजदूरों का हाल इस लाॅकडाउन में सबसे खराब है। मध्यमवर्ग की भी हालत मजदूरों से कुछ कम नहीं। हालांकि, मदद किसी को नहीं मिल पा रहा है। मजदूरों का रोजगार छीनने के बाद भूखमरी के कगार पर पहुंचे मजदूरों के लिए सरकार ने तीन महीना तक एक-एक हजार रुपये उनके खाते में भेजने का ऐलान किया था लेकिन हकीकत उससे अलग है।
विजयपुर में भवन निर्माण कर्मकार हितग्राही हैं। उनके खाते में भी एक हजार रुपये जाने थे। इन मजदूरों के मोबाइल पर एक हजार रुपये आने का एसएमएस आ गया है लेकिन 60 प्रतिशत मजूदरों का कहना है कि एसएमएस तो आ गया लेकिन रुपये नहीं आए। ये मजदूर मोबाइल पर आए मैसेज को लेकर जिम्मेदार अधिकारियों के पास दौड़ लगा रहे लेकिन किसी के पास कोई ठोस जवाब नहीं है। दौड़ते-दौड़ते इन मजदूरों में अब निराशा होने लगी है। सुशील चंदेल बताते हैं कि अधिकतर मजदूरों को दो जून की रोटी का इंतजाम नहीं है, ऐसे में यह मजाक बेहद क्रूर लग रहा।
Updated on:
03 Jun 2020 12:12 am
Published on:
02 Jun 2020 02:41 pm
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