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15 सालों में मेवातियों को नहीं दिला पाए रेल,वोट के समय मेवातियों के करीब आए राव इंद्रजीत सिहं

वोट के समय में फिर आई मेवातियों की याद  

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RAO INDREJEET SINGH

RAO INDREJEET SINGH

(गुरूग्राम,गणेश सिंह चौहान): गुरुग्राम लोकसभा से दो बार लगातार अलग-अलग पार्टियों से चुनाव जीतकर केंद्रीय मंत्री की कुर्सी तक पहुंचे राव इंद्रजीत सिंह को मेवातियों की याद आने लगी है। दो बार सांसद का चुनाव जीतकर इलाके का प्रतिनिधित्व करने वाले केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह को इस बार अपने पड़ोसी साथी भाजपा सांसद धर्मबीर सिंह की जरूरत पडऩे लगी है। सांसद धर्मबीर सिंह ने राव को अपने समर्थकों से मिलवाया। टिकट का भले ही भाजपा ने अभी एलान नहीं किया हो, लेकिन केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह और सांसद धर्मबीर सिंह एक-दूसरे की मदद के लिए खड़े दिखाई देने लगे हैं और एक-दूसरे की जमकर तारीफ भी कर रहे हैं। टिकट एलान से पहले ही चुनावी नब्ज टटोलने के लिए इस बार दिग्गजों को भी अपनी भूल चूक और ढिलाई वोटरों के सामने स्वीकारनी पड़ी रही है।

माना- अपेक्षा पर खरा नहीं उतर पाए

केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने पत्रकारवार्ता के दौरान माना कि लोग उनके बारे में खुलकर नहीं मिलने जैसी शिकायतें करते हैं, इसलिए सबके बीच में आया हूं। उन्होंने कहा कि जो वायदे उन्होंने लोकसभा चुनाव के दौरान मेवात की जनता से किए उनमें रेल लाने के मामले में भले ही कोताही हुई हो, मगर बाकी सब बातों को पूरा किया है। नीति आयोग की सूची में मेवात को शामिल कराने की बात हो या फिर मुंबई-दिल्ली एक्सप्रेस वे की बात, ये उनकी वजह से ही मेवात के लोगों को मिले हैं।


सांसद धर्मबीर सिंह ने भी कहा कि अगर राव इंद्रजीत सिंह मुंबई-दिल्ली एक्सप्रेस वे के लिए भाजपा शीर्ष नेतृत्व से बात नहीं करते, तो इसका रूट मेवात से अलग होता। दरअसल केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह को मुस्लिम वोटों की दरकार है, जो सोहना से विधायक बनकर पंचायत मंत्री रहे मौजूदा भाजपा सांसद धर्मबीर सिंह दिलवाने में मदद कर सकते हैं, वहीं केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह भिवानी, महेंद्रगढ़ लोकसभा क्षेत्र में अहीरों की वोट उन्हें दिलवा सकते हैं। दोनों नेताओं की राजनैतिक मजबूरी भी है। भाजपा नेता इस बार कांग्रेस को हलके में नहीं ले रहे हैं। शायद यही वजह है कि टिकट के एलान से पहले ही भाजपा नेताओं को मुस्लिंम बाहुल्य जिले मेवात की कुछ ज्यादा ही चिंता सताने लगी है।