सेना को होगी चीन की सीमा तक साजो सामान लेने में सहूलियत इस पुल के बनने से सेना को चीन की सीमा तक साजो सामान लेने में सहूलियत होगी। भारत के साथ चीन की 4,000 किमी अंतरराष्ट्रीय सीमा लगती है। इस पुल की लंबाई 4.94 किमी है और ब्रह्मपुत्र नदीी के जलस्तर से 32 मीटर इसका निर्माण किया गया है। एशिया में यह दूसरा सबसे बड़ा रेल-सड़क पुल है। फिलहाल गुवाहाटी से डिब्रुगढ़ जाने में 37 घंटे का समय लगता है। इस पुल के निर्माण के बाद डिब्रुगढ़ और गुवाहाटी के बीच तीन घंटे की यात्रा में कमी आएगी। स्व.प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने वर्ष 2002 में इस पुल की आधारशिला रखी थी। तब इसकी लागत का अनुमान 1700 करोड़ था, जो अब बढ़कर 6000 करोड़ हो गया है। अब इस पुल का नाम अटल बिहारी वाजपेयी के नाम से करने की मांग उठ रही है।
वाजपेयी के नाम पर नामकरण की मांग
डिब्रुगढ़ के विधायक प्रशांत फुकन ने मांग की है कि इस पुल की आधारशिला अटल बिहारी वाजपेयी ने रखी थी इसलिए इसका नाम वाजपेयी के नाम पर रखा जाए। पुल में सबसे ऊपर एक तीन लेन की सड़क है और उसके नीचे दोहरी रेल लाइन है। इसे स्वीडन और डेनमार्क को जोड़ने वाले पुल की तर्ज पर बनाया गया है। बता दें कि इस पुल के लिए केंद्र सरकार से 1997 में ही मंजूरी मिल गई थी लेकिन निर्माण कार्य 2002 में भाजपानीत पहली राजग सरकार ने शुरु किया था। कांग्रेस नीत यूपीए सरकार ने 2007 में इसे राष्ट्रीय परियोजना घोषित कर दिया था।