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26/11 में शहीद सुशील कुमार शर्मा के बेटे फैला रहे हैं प्यार और मानवता

26/11 मुंबई हमले शहीद हो गए थे शहर के सुशील कुमार शर्मा

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2611 Attacks Shaheed Sushil Kumar Sharma in Madhya Pradesh

26/11 में शहीद सुशील कुमार शर्मा के बेटे फैला रहे हैं प्यार और मानवता

ग्वालियर। 26/11 मुंबई हमले को एक दशक होने को है,लेकिन आज भी इसे याद कर रूह कांप उठती है। इससे जुड़ी कुछ यादें हम आपको बताने जा रहे हैं। 26/11 में शहीद सुशील कुमार शर्मा छत्रपति शिवाजी टर्मिनल्स (सीएसटी) पर तैनात थे। उन्हें आतंकवादियों की एक गोली लग गई। जिसकी वजह से उनकी मौत हो गई। उस दिन वो जल्दी घर जाना चाहते थे क्योंकि उनके बेटे का जन्मदिन मनाना था। लेकिन वह घर नहीं जा पाए और उससे पहले ही शहीद हो गए।

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शहीद सुशील कुमार शर्मा के बेटे देश में आज एक ऐसी अलख जगा रहे हैं जिसके बारे में कोई सोच भी नहीं सकता। सुशील कुमार शर्मा फाउंडेशन एक ऐसा फाउंडेशन, जो कमजोर पृष्ठभूमि की लड़कियों को देता है नि: शुल्क शिक्षा, साथ ही सीखाता है चित्रकारी और आत्मरक्षा के गुर भी देता है।

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लड़कियों को फ्री में देते हैं शिक्षा
26/11 के हमलों के एक महीने बाद सुशील कुमार शर्मा के परिवार ने मध्य प्रदेश के ग्वालियर में अपने गृहनगर में एक संगठन का शुभारंभ किया। जिसे शहीद सुशील कुमार शर्मा फाउंडेशन का नाम दिया गया। यह फाउंडेशन कमजोर सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि की लड़कियों को नि शुल्क शिक्षा प्रदान करता है, साथ ही चित्रकारी और आत्मरक्षा के गुर भी सिखाता है। बताया जाता है कि उनके बेटे आदित्य ने इस सामाजिक संगठन को शुरू करने का फैसला किया क्योंकि उनके पिता देश सेवा के लिए प्रतिबद्ध थे। जब भी संभव हो, वो वंचितों को मदद देने से पीछे नहीं हटते थे।

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150 लड़कियों को हुआ फायदा
आदित्य का मानना है कि वह अपने पिता के मिशन का समर्थन कर रहे हैं। इस फाउंडेशन के माध्यम से लगभग 150 लड़कियों को फायदा हुआ है। साथ ही मुंबई में सुशील के जन्मदिन पर ये लोग झुग्गियों में जाते हैं और बच्चों को स्कूल के बैग, मिठाई, रंग और स्टेशनरी बांटकर आते हैं।

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दुनिया प्रेम से भरी है
शहीद सुशील कुमार शर्मा के बेटे आदित्य इलेक्ट्रॉनिक और दूरसंचार इंजीनियरिंग के अंतिम वर्ष के छात्र हैं। उस खौफनाक मंजर को याद करते हुए उन्होंने बताया कि हमलों के एक हफ्ते तक मैं सुन्न रहा। पिता जी की लंबी अनुपस्थिति मुझे खल रही थी। जब सच्चाई से मेरा सामना हुआ तो मैं गुस्से से भर गया।

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मेरे अंदर बहुत गुस्सा था, खासकर उन लोगों के खिलाफ जिन्होंने मेरे पिता को मारा था। उस वक्त अपने आप को प्रेरित करना सबसे बड़ी चुनौती थी और जब मैंने ऐसा करना सीखा, तो मुझे एहसास हुआ कि दुनिया प्रेम से भरी है और हमारा काम इसे फैलाना था। आदित्य के बड़े भाई सिद्धांत,जो कि आदित्य से पांच साल बड़े हैं। वह पुणे में एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में कार्यरत हैं। साथ ही उनकी मां रागिनी शर्मा अब सीएसएमटी में एक सहायक टिकट कलेक्टर हैं।

शहर में हुए कई कार्यक्रम
शहीद सुशील कुमार की याद में शहर में मंगलवार को कई संस्थानों में कार्यक्रम आयोजित किए गए। जिसमें सिटी सेंटर स्थित राज्य स्तरीय संस्थान में भी कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें शहीद सुशील कुमार को याद किया गया। इससे पहले 8 नवंबर को भी एक दिवसीय प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया था। यह प्रतियोगिताएं शहीद सुशील कुमार शर्मा फाउंडेशन ग्वालियर और जीवाजी यूनिवर्सिटी के विधि संस्थान की ओर से कराई गई थी।