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जिले में 236 पंचायत, 200 में खेल मैदान नहीं, हर मैदान के लिए निकल चुके 2 लाख

-जिले में करीब 4 करोड़ रुपये मैदानों के नाम हुए खर्च-1 लाख 25 हजार रुपये प्रति पंचायत खरीदी जा चुकी खेल सामग्री

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जिले में 236 पंचायत, 200 में खेल मैदान नहीं, हर मैदान के लिए निकल चुके 2 लाख

जिले में 236 पंचायत, 200 में खेल मैदान नहीं, हर मैदान के लिए निकल चुके 2 लाख

श्योपुर। ग्रामीण क्षेत्र की खेल प्रतिभाओं को निखारने के लिए जिले की 236 ग्राम पंचायतों में खेल मैदान की योजना बनी थी। हर पंचायत के मैदान पर औसतन 2 लाख रुपए तक खर्च हो चुके हैं। बॉलीबॉल, कबड्डी, क्रिकेट सहित अन्य आउटडोर खेलों को बढ़ावा देने के लिए बनी इस योजना के अंतर्गत खेल एवं युवक कल्याण विभाग ने 1 लाख 25 हजार रुपए तक की खेल सामग्री भी भिजवाई थी। इस हिसाब से पंचायतों में खेल को बढ़ावा देने के लिए लगभग 4 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं। अब स्थिति यह है कि 200 से अधिक पंचायतों से खेल मैदान गायब हो चुके हैं। कराहल, वीरपुर, रघुनाथपुर, ओछापुरा, आवदा, पहेला जैसी कुछ बड़ी पंचायतों में ही खेल मैदान बचे हैं और जो बचे हुए मैदान हैं, उनका भी उपयोग खेल के लिए सही तरीके से नहीं हो रहा। पूर्व में खर्च हुए धन का हिसाब लिए बगैर अब पिछले कुछ समय से पंचायतों में फिर खेल मैदान बनाने को लेकर पिछले दो महीने से सरकारी धन खर्च किया जा रहा है।


दरअसल, देश में क्रिकेट और हॉकी के अलावा कबड्डी, बॉलीबॉल, बैडमिंटन, खो-खो जैसे खेलों के प्रति भी बच्चों की रुचि और खेल में अपार संभावनाओं को ध्यान में रखकर प्रदेश सरकार ने योजना बनाई थी। मनरेगा के कन्वर्जेंस से वर्ष 2012 मेें खेल मैदानों पर काम शुरू किया गया। प्रत्येक खेल मैदान पर मजदूरी सहित लगभग 2 लाख रुपए खर्च हुए। इसी के साथ-साथ प्रदेश की खेलमंत्री यशोधरा राजे सिंधिया ने ग्रामीण खेल प्रतिभाओं को निखारने के लिए खेल विभाग के माध्यम से प्रति पंचायत 1 लाख 25 हजार रुपए की राशि की सामग्री क्रय करने की स्वीकृति दी। राशि खरीदने का काम जिला स्तर पर खेल विभाग और पंचायतों ने मिलकर किया। इस सरकारी राशि से क्रिकेट किट, बैडमिंटन रैकेट्स-शटल, फुटबॉल, बॉलीबॉल सहित अन्य खेल सामग्री खरीदी गई। खेल विभाग ने टैंडर के जरिये यह सामानय क्रय किया और किटों का वितरण भी किया गया। अब यह किट किसी भी पंचायत में नहीं हैं। कुछ जगहों पर खेल का सामान बिना उपयोग के ही गायब हो गया।


अधिकतर मैदानों का दुरुपयोग
-ग्राम पंचायतों में खेल मैदानों के लिए छोड़ी गई जगहों पर अतिक्रमण है।
-खेलने के लिए समतल की गई भूमि का उपयोग ग्रामीण खलिहान रखने के लिए करते हैं।
-जहां बाउंड्री बनाई गई हैं, उनके किनारे पशुओं का गोबर रखा जाता है।


यह काम जो कागजों में हुए
-खेल प्रतिभाओं को निखारने के लिए वर्ष 2012-13 में खेल मैदानों तैयार कराए गए।
-सामान खरीदने के लिए हर पंचायत को एक से डेढ़ लाख रुपये तक की राशि मिली।
-दर्शकों और खिलाडिय़ों के बैठने की जगह, पानी का इंतजाम और शौचालय बनने थे।
-खिलाडिय़ों के उपयोग के लिए खेल किट उपलब्ध कराई जानी थीं।


इस तरह हुईं गड़बड़ी
-अधिकतर खेल मैदान में बाउंड्री के नाम पर मिट्टी डालकर काम पूरा किया गया है।
-जिन मैदानों के किनारे शौचालय बने वे बेहद घटिया स्तर के बनाए गए और अधिकतर जगह निष्प्रयोज्य हैं।
-मैदानों का उपयोग खेल के प्रशिक्षण के लिए नहीं किया गया और न मॉनीटरिंग की गई।


वर्सन
-जिन ग्राम पंचायतों में खेल मैदान नहीं बने हैं, जहां हैं, वहां की स्थिति को हम सुधरवा रहे हैं। जहां खेल मैदान पहले से हैं और खराब स्थिति में हैं, वहां पचंायत के माध्यम से ही सुधरवाया जा रहा है।
अतेन्द्र ङ्क्षसह गुर्जर-मुख्य कार्यपालन अधिकारी-जिला पंचायत