
आदिनाथ को हुआ मोक्ष, प्रतिमाओं का किया महामस्तकाभिषेक
ग्वालियर. जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ को नवप्रभात की नई किरण के साथ कैलाश पर्वत से मोक्ष की प्राप्ति हुई तो जिनेश्वरधाम जयकारों से गूंजने लगा। बड़ी संख्या में यहां मौजूद श्रद्धालु भगवान का जयघोष कर थे। गुरुवार को यह दृश्य था बरई में नवसृजित जिनेश्वरधाम तीर्थांचल का, जहां पंचकल्याणक महोत्सव के अंतिम दिन मोक्ष कल्याणक की क्रियाएं हुईं। प्रात:कालीन बेला में सूर्य की पहली किरण निकलते ही प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ ने कैलाश पर्वत से मोक्ष प्राप्त किया। इस दिन के सभी कार्यक्रमों में आचार्य विशुद्ध सागर एवं पूरा मुनिसंघ मौजूद रहा।
नख-केश संस्कार के बाद हुआ विश्वशांति महायज्ञ
नित्य पूजन अभिषेक और शांतिधारा के बाद आदिनाथ के मोक्ष की क्रियाएं हुईं। इसके बाद अग्निकुमार देवों ने नख-केश आदि संस्कार किए। इसके बाद मोक्षकल्याणक पूजन और विश्वशांति महायज्ञ व हवन हुआ।
जयकारों के साथ हुआ महामस्तकाभिषेक
दोपहर में जिनेश्वरधाम में स्थापित भगवान महावीर की 41 फीट, भगवान आदिनाथ की 21 फीट और भगवान मुनि सुव्रतनाथ की 15 फीट खड्गासन तथा भगवान पाश्र्वनाथ की 13 फीट सहस्त्रफनी पद्मासन प्रतिमाओं का प्रथम महामस्तकाभिषेक किया गया। इस अवसर पर श्रद्धालु लगातार जयघोष करते रहे।
गजराज और घोड़ों के साथ निकली रथयात्रा
महामस्तकाभिषेक के बाद आचार्य विशुद्ध सागर, मुनिसंघ के सानिध्य एवं सभी प्रतिष्ठाचार्यों की मौजूदगी में विशाल रथयात्रा निकाली गई, जिसमें सौधर्म इंद्र-इंद्राणी तथा अन्य इंद्र हाथियों और बग्गियों में सवार होकर शामिल हुए। साथ ही जैन धर्मध्वजा लेकर युवा घोड़ों पर सवार थे। रथयात्रा ने पंडाल की परिक्रमाएं कीं।
खराब मौसम के बावजूद पहुंचे श्रद्धालु
गुरुवार को सुबह से ही मौसम काफी खराब था। सुबह बूंदाबांदी होने लगी थी, इसके बाद भी पंचकल्याणक का अंतिम दिन होने के कारण बड़ी संख्या में श्रद्धालु जिनेश्वरधाम पहुंचे। महामस्तकाभिषेक से पहले ही इंद्रदेव ने विशाल प्रतिमाओं का अभिषेक कर पंचकल्याणक महोत्सव में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
Published on:
12 Dec 2019 10:31 pm
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