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फाइलों में ही सिमटकर रह गया पचास एकड़ में बनने वाला जैव विविधता पार्क

शहर की 15 लाख से अधिक आबादी के लिए सिर्फ 15 मिनट की दूरी पर 50 एकड़ मेंं प्रस्तावित जैव विविधता पार्क का काम डेढ़ वर्ष बाद भी शुरू नहीं हो सका। पार्क को विकसित करने...

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gwalior Biodiversity Park

फाइलों में ही सिमटकर रह गया पचास एकड़ में बनने वाला जैव विविधता पार्क

ग्वालियर. शहर की 15 लाख से अधिक आबादी के लिए सिर्फ 15 मिनट की दूरी पर 50 एकड़ मेंं प्रस्तावित जैव विविधता पार्क का काम डेढ़ वर्ष बाद भी शुरू नहीं हो सका। पार्क को विकसित करने के लिए स्मार्ट सिटी ने वन विभाग के सहयोग से योजना तैयार की थी। इसके लिए स्मार्ट सिटी ने टैक्नो इकोनोमिक फिजिबिलिटी स्टडी भी कराने की बात कही थी ताकि स्टडी के ङ्क्षबदुओं के आधार पर प्रस्तावित पार्क को और बेहतर बनाया जा सके।
प्राकृतिक परिवेश को सहेजने के साथ शहर को मिलने वाली जैव विविधता पार्क की सुविधा फाइलों में ही अटककर रह गई है। विभाग के अधिकारी अब इस पार्क को लेकर बात करने से भी कतरा रहे हैं। सरकारी उदासीनता का परिणाम यह है कि वन विभाग की भूमि पर धीरे-धीरे अतिक्रमण बढ़ता जा रहा है।
दरअसल, देश की अन्य मेट्रोपॉलिटिन सिटी की तर्ज पर ग्वालियर में भी बॉयो डायवर्सिटी पार्क डवलप करने की प्लाङ्क्षनग शुरू की गई थी। इस प्लाङ्क्षनग को लेकर 19 मई 2021 को नगरीय विकास विभाग ने काम शुरू करने के निर्देश दिए थे। ग्रीन स्पेस विकसित करने के लिए बनाए इस प्लान पर स्मार्ट सिटी को काम करना था।
स्मार्ट सिटी ने इस नई परियोजना का प्रजेंटेशन तैयार करके एक बार निरीक्षण किया। इसके बाद फिजिबिलिटी रिपोर्ट तैयार होनी थी, लेकिन इस पर कोई काम नहीं हुआ है।

इस तरह होना था पार्क विकसित
- पहाड़ी और समतल दोनों तरह का क्षेत्र होने से तालाब सहित अन्य जल संग्रहण के स्रोत विकसित किए जाने का प्लान था।
- आम जन की सुविधा के लिए वॉङ्क्षकग ट्रेल, जॉङ्क्षगग पाथ, योगा डेक विकसित होना थे।
- पशु-पक्षियों के लिए प्राकृतिक छायादार स्थलों को विकसित किया जाना था।
- बच्चे, बुजुर्ग और युवाओं के लिए एक्टिविटी जोन विकसित करने की प्लाङ्क्षनग थी।
- नक्षण वाटिका, बर्ड वॉङ्क्षचग जोन विकसित करने की प्लाङ्क्षनग की गई थी।

यह होता शहर को फायदा
- क्षेत्र के ईको सिस्टम को संतुलित करने में सहायक सिद्ध होगा।
- आयुर्वेदिक दवाओं के पौधे, पशु पक्षियों के लिए भोजन सहित अन्य संसाधन सुरक्षित रहते।
- प्राकृतिक सौंदर्य को विकसित करके आम जन को प्रकृति के साथ जुड़कर मनोरंजन का मौका मिलता।
- प्राकृतिक परिवेश में जंगली और रोपे गए पौधों के फूल तितली, मधु मक्खियों जैसे जीवों को परागण में मदद मिलती।
- प्रस्तावित बॉयो डायवर्सिटी पार्क शहर के बीच होने से शहरवासियों को बड़े क्षेत्रफल में विकसित वन तैयार हो जाता।


तपोवन के पास किया था भूमि चयन
- प्रस्तावित पार्क के लिए तपोवन के पास भूमि चिह्नित की गई थी।
- वन भूमि के रूप में पहले से ही चिह्नित क्षेत्र होने से परिसर की प्राकृतिक संरचना पर असर नहीं पड़ता।
- आबादी क्षेत्र से दूरी कम होने की वजह से आम जन को आने-जाने में सुविधा होती।