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कलेक्टर ने बताया कि इंजेक्शन को लेकर मरीजों के परिजन परेशान नहीं होंगे बल्कि अब यह जिम्मेदारी संबंधित अस्पताल की होगी। अस्पताल में मौजूद रजिस्टर्ड डॉक्टर आवश्यकता और प्राथमिकता के आधार पर जरूरतमंद मरीजों के लिए इंजेक्शन की सलाह लिखेगा। इसके बाद अस्पताल ही प्राथमिकता के आधार पर जिसे ज्यादा जरूरत है, उसको पहले इंजेक्शन लगवाएगा।
बुधवार को अस्पतालों को मिले इंजेक्शन
तो ड्रग एक्ट के अंतर्गत होगी कार्रवाई
जीवन रक्षक दवाओं में शामिल रेमडेसिविर, टॉक्लीजुमेब इंजेक्शन और फेवि फ्लू टैबलेट मरीज को देने की सलाह सिर्फ रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर द्वारा ही दिए जाने का आदेश जारी किया है। कलेक्टर कौशलेन्द्र विक्रम सिंह ने आदेश दिए कि दोनों इंजेक्शन और टैबलेट जीवन रक्षक दवाओं में शामिल हैं और ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट शैड्यूल-एच के अंतर्गत आती है। इसमें स्पष्ट निर्देश हैं कि ये दवाएं केवल रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर द्वारा ही चिकित्सकीय सलाह पर दी जाएंगी। इस आदेश के बाद जिले का कोई भी डॉक्टर या प्राइवेट हॉस्पिटल एक्ट के निर्देशों के विरुद्ध इन दवाओं की चिकित्सकीय सलाह देता है तो उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।
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ग्वालियर के कलेक्टर कौशलेन्द्र विक्रम सिंह कहते हैं कि रेमडेसिविर इंजेक्शन को लेकर कोविड मरीजों के परिजन परेशान हो रहे हैं। इसको लेकर अब यह निर्णय लिया गया है कि शासन स्तर से जिले के लिए जितने इंजेक्शन मिलेंगे। उन सभी को अनुपात के आधार पर निजी अस्पतालों को वितरित किया जाएगा। इंजेक्शन की जरूरत किस मरीज को सबसे ज्यादा है इसकी सलाह रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर ही देंगे।
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