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न्यूट्रिक बिल्डर पर कोर्ट का प्रहार… नहर की जमीन मुक्त कराने के लिए बाउंड्रीवॉल पर चला हथौड़ा, टाउनशिप की एनओसी पर संकट

ग्वालियर. हाईकोर्ट की सख्ती के बाद न्यूट्रिक बिल्डिर (नियोटेरिक) आरडी गुप्ता की टेकनपुर के पास बझेरा पंचायत स्थित टाउनशिप की दीवार पर गुरुवार को हथौड़े चले। यहां नहर की जमीन पर अतिक्रमण निकला है, बिल्डर ने सरकारी जमीन पर अतिक्रमण कर बाउंड्रीवॉल बनवा दी थी। वहीं दूसरी ओर किसानों ने टाउनशिप की एनओसी निरस्त कराने […]

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ग्वालियर. हाईकोर्ट की सख्ती के बाद न्यूट्रिक बिल्डिर (नियोटेरिक) आरडी गुप्ता की टेकनपुर के पास बझेरा पंचायत स्थित टाउनशिप की दीवार पर गुरुवार को हथौड़े चले। यहां नहर की जमीन पर अतिक्रमण निकला है, बिल्डर ने सरकारी जमीन पर अतिक्रमण कर बाउंड्रीवॉल बनवा दी थी। वहीं दूसरी ओर किसानों ने टाउनशिप की एनओसी निरस्त कराने के लिए हाईकोर्ट में नई याचिका दायर की है। क्योंकि बिल्डर को अनुमति शर्तों के साथ दी गई थी। बारिश का पानी निकाल कर देंगे, बिल्डर ने मनमाना रवैया अपनाया। सरकारी नहर को नष्ट कर दिया और बारिश के पानी भी रोक दिया। जिससे किसानों को ङ्क्षसचाई के लिए पानी नहीं मिल रहा था। साथ ही बारिश का पानी भी खेतों से नहीं निकल पाया।

गौरतलब है कि पत्रिका में खबर प्रकाशित होने के बाद प्रशासन ने जमीन का सीमांकन किया था, जिसमें अतिक्रमण सामने आया है। बिल्डर ने जलसंसाधन विभाग की 0.633 हेक्टेयर भूमि को अपनी टाउनशिप में दबा लिया । किसानों ने सीमांकन रिपोर्ट हाईकोर्ट में पेश की है, इससे टाउनशिप पर खतरा मंडराने लगा है। हाईकोर्ट इस अतिक्रमण को लेकर सख्त है। फोटो पेश होने हैं, इसी डर से ये कार्रवाई सामने आई है।

ग्रामीणों ने की थी शिकायत

न्यूट्रिक बिल्डर की मैसर्स ग्रेवटी इन्फ्रास्ट्रक्चर फर्म (न्यूट्रिक) ने ग्राम बझेरा में टाउनशिप बसाई है। इस टाउनशिप के चारों ओर बाउंड्रीवॉल बनाई गई है। बाउंड्रीवॉल की वजह से पानी रुक गया है। ग्राम बझेरा निवासी जीपी अरजरिया ने इस पूरे मामले को लेकर शिकायत की है और हाईकोर्ट में भी याचिका दायर की। बझेरा गांव में सर्वे क्रमांक 376 की भूमि हरसी हाई लेवल नहर के लिए अधिग्रहित की गई थी। इस भूमि का सर्वे नंबर 376/1/4/1 है। इस सर्वे नंबर की जमीन पर नियोटेरिक बिल्डर ने बाउंड्रीवॉल खड़ी कर दी। एम-21 की माइनर नहर का भी पानी रोक दिया।

जल संरचना के दोनों ओर 9-9 मीटर जगह छोडऩी होती है

यदि कहीं पर जल संरचना बनी है तो उसके दोनों ओर 9-9 मीटर जगह छोडऩी होती है। इसके बाद ही निर्माण किया जा सकता है, लेकिन नियम का पालन नहीं किया जा रहा है, नहर ही नष्ट कर दी।

  • जब किसानों का पानी रुक गया तो आंदोलन हुआ और शिकायतें भी की। किसानों के आंदोलन के बाद जल संसाधन विभाग के अधिकारी पहुंचे। कार्यपालन यंत्री ने अतिक्रमण की रिपोर्ट दी। भितरवार में अलग-अलग पर जो एसडीएम रहे, वह मौके पर पहुंचे, लेकिन दीवार नहीं तोड़ी।
  • बिल्डर की मनमानी के चलते खरीफ व रबी की खेती नहीं कर पाए, एक हिस्से में किसान माइनर 21 नहर के पानी के लिए तरसते रहे और टाउनशिप के दूसरे हिस्सा पानी में डूबा रहा। इससे किसान पानी के लिए तरसे और उनकी फसलें खराब हुई। इसकी भरपाई अब कैसे होगी।

हाईकोर्ट में भी झूठ बोला, कोर्ट ने मंगा लिए फोटो

  • जब बाउंड्रीवॉल को हटाने को लेकर कोर्ट ने स्टेटस रिपोर्ट मांगी तो बिल्डर की ओर से कहा गया कि बाउंड्री को तोड़ दिया है। इस पर जीपी अरजरिया की ओर से आपत्ति की गई। मौके पर कोई कार्रवाई नहीं की है। बाउंड्री जस की तस खड़ी है। इसको लेकर कोर्ट ने याचिकाकर्ता से मौके के फोटो मांगे। याचिकाकर्ता ने लोकेशन के साथ फोटो खींचे। इसके बाद ये कार्रवाई सामने आई है।
  • माइनर नहर का पानी आगे जाकर नाले में मिलना है, लेकिन बाउंड्री की वजह से पानी भरा हुआ है। किसान ने पानी रुके होने का भी फोटो न्यायालय में पेश कर रहे हैं।

इन सर्वे नंबर पर निकला अतिक्रमण

सर्वे क्रमांक रकबा
376/1/4/2 0.581
376/2/1 0.052
(रकबा हेक्टेयर में है। अतिक्रमण की गई जमीन को दस्तावेज में लाल लाइन से चिह्नित किया गया है।)

जमीन मुक्त करानी है

नहर की जमीन पर अतिक्रमण से काफी दिक्कत हुई है, पानी निकालने के लिए जमीन का अधिग्रहण किया गया था। जमीन मुक्त कराने के लिए कार्रवाई की जानी है।
पंकज सेंगर, कार्यपालन यंत्री जल संसाधन


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