
गवाहों को वारंट व समन की तामील के लिए बनाएं वाट्सएप ग्रुप, तारीख पहले ही सूचना रहे
ग्वालियर. हाईकोर्ट की एकल पीठ ने केस के विचारण (ट्रायल) के दौरान समन व वारंट को तामील कराने में बर्बाद होने वाले समय पर चिंता जताई है। कोर्ट ने कहा कि इस समय को बचाया जा सकता है। इसके लिए हर केस का एक वाट्सएप ग्रुप बनाया जाए। जिसमें जब्ती मेमे, फारेंसिक, जांच अधिकारी सहित बाहरी गवाहों को जोड़ा जाए। इस ग्रुप पर समन व वारंट को भेजा जाए, जिससे केस के जुड़े गवाह को इसकी जानकारी मिल सके। बिना समय बर्बाद किए गवाह न्यायालय में उपस्थित हो सके। विचारण समाप्त होने के बाद ग्रुप को समाप्त किया जाए। वाट्सएप ग्रुप बनाने से क्या बदलाव आए, इसकी पालन प्रतिवेदन रिपोर्ट 20 नवंबर तक हाईकोर्ट में पेश करनी है। आदेश के पालन के लिए कॉपी डीजीपी को भेजी जाए।
दरअसल विजेंद्र सिंह सिकरवार ने हार्ईकोर्ट में याचिका दायर की। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि 2018 में पांच लोगों ने अपहरण कर उसके लडक़े की हत्या की है। पांच में से तीन आरोपी नाबालिग है। कोतवाली थाना पुलिस जिला मुरैना ने जांच के बाद न्यायायल में चालान पेश किया। तीन आरोपियों की ट्रालय किशोर न्यायालय में चल रही है। दो आरोपियों की ट्रायल विशेष सत्र न्यायालय में चल रही है। इसके के प्रमुख गवाह हो चुके हैं, लेकिन शासकीय गवाह हैं, उनकी गवाही नहीं हुई है। इन्हें समन व वारंट जारी किया गया है, लेकिन गवाही के लिए उपस्थित नहीं हुए। विचारण बिना वजह आगे बढ़ रहा है। इसलिए गवाहों को उपस्थित कराया जाए। कोर्ट ने इस केस की परिस्थितियां देखी। साथ ही एक शोध भी पेश किया गया, जिसमें बताया गया कि सिविल केस 25 फीसदी व आपराधिक केस का 18 फीसदी समय गवाहों को समन व वारंट तामील कराने में चला जाता है। यदि इस समय को बचा लिया जाता है तो जो ट्रायल तीन साल में खत्म हो रही है। वह डेढ़ साल में खत्म हो सकती है। न्यायालय से समन व वारंट जारी होते हैं, वह तामील नहीं होते हैं। इसके लिए वाट्सएप ग्रुप बनाने का सुझाव दिया है। चालान के साथ ही केस का वाट्सएप ग्रुप बनाया जाए। इसमें गवाहों के साथ-साथ अभियोजन अधिकारी, कोर्ट के कर्मचारियों को शामिल किया जाए। समन व वारंट को वाट्सएप ग्रुप पर भेजा जाए। गवाहों की सुरक्षा का भी ध्यान रखना होगा।
Published on:
23 Sept 2023 10:53 am
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