
एनालॉग सर्किट डिजाइन करना कठिन और चुनौती भरा कार्य
ग्वालियर.
एनालॉग सर्किट डिजाइन करना कठिन और चुनौती भरा कार्य है। यह हमेशा एक नए काम के रूप में सामने होता है। हाई परफॉर्मेंस वाला एनालॉग डिजाइन आटोमेट नहीं किया जा सकता, जबकि डिजिटल एनालॉग का ऑटोमेट डिजाइन सम्भव हैै। एनालॉग सर्किट की कोई मानक 'सेल लाइब्रेरीÓ नहीं है। इन्हीं कारणों से एनालॉग आईसी डिजाइनर्स की मांग हमेशा अधिक रहती है। एनालाग सर्किट (नॉइज) के प्रति अधिक संवेदनशील होतीं हैं, इसके अलावा वे सप्लाई, लोड, तापमान और मैन्युफैक्चरिंग प्रोसेस के प्रति बहुत संवेदनशील होते हैं।
इंडस्ट्री में बढ़ती एनालॉग डिजाइनर्स की मांग और इसकी प्रोसेस के बारे में जानकारी दे रहे थे एनआइटी रायपुर के प्रो डॉ आलोक नौग्रहिया, जो शार्ट टर्म ट्रेनिंग प्रोग्राम में व्याख्यान दे रहे थे। आइटीएम यूनिवर्सिटी ग्वालियर के स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन विभाग द्वारा एआइसीटीई द्वारा प्रायोजित शार्ट टर्म ट्रेनिंग प्रोग्राम का आयोजन किया जा रहा है। यह ट्रेनिंग 'इमर्जिंग इश्यूज ऑफ वीएलएसआई डिजाइनÓ रखा गया है।
करंट को कम करने उपयोगी डबल गेट तकनीक
डॉ नौग्रहिया ने व्यवहारिक रूप से एनलोग आईसी डिजाइन में आने वाली परेशानी एवं उनके निदान हेतु चर्चा की। इसके अतिरिक्त विषय विशेषज्ञ द्वारा एनालिस एवं डिजिटल सर्किट डिजाइन का तुलनात्मक अध्ययन भी प्रदर्शित किया गया। इस दौरान जयपुर एमएनआईटी डॉ चित्रकांत साहू, व्हीआइटीएपी के असि प्रो डॉ प्रतीक जैन, एनआइटीटीआर चंडीगढ़ के डॉ बलविंदर राज, पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज के डॉ गौरव मणि खनेल, कोर आइईएल टेक्नोलॉजी सीनियर लीड एप्लीकेशन इंजीनियर अंकुर संगल ने अपने-अपने व्याख्यान प्रस्तुत किए।
जयपुर एमएनआईटी के डॉ चित्रकांत साहू द्वारा स्केलिंग में आने वाली चुनौतियां जैसे हाई लीकेज करंट, ऑक्साइड थिकनेस की फ्यूचरस्टिक स्केलिंग आदि पर विशेष रूप से चर्चा की। इसके अतिरिक्त उन्होंने डबल गेट ट्रांसफर के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि डबल गेट तकनीक लीकेज करंट को कम करने हेतु उपयोगी है।
मल्टीगेट नैनो टेक्नोलॉजी की दी जानकारी
एनआइटीटीआर चंडीगढ़ के डॉ बलविंदर राज ने मल्टीगेट नैनो इलेक्ट्रॉनिक्स डिवाइसेस पर उद्बोधन दिया। उन्होंने बताया कि सिग्नल गेट मॉस्फेट का उपयोग अधिक लीकेज करंट, लॉ ट्रांसकन्डकटेंस, शार्ट चैनल इफेक्ट, हाई प्रॉडक्टिविटी कोस्ट के कारण नैनो टेक्नोलॉजी में नहीं किया जा सकता। उन्होंने बताया कि मल्टी गेट उवेमिज का प्रयोग करके नैनो टेक्नोलॉजी की चुनौतियोंं को काफी हद तक कम किया जा सकता है। पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज के डॉ गौरव मणि खनेल द्वारा नैनो शीट ट्रांजिस्टर एवं उसके स्कोप पर अपना उद्बोधन प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि नैनो शीट ट्रांजिस्टर में गेट एवं चैनल के बीच अच्छी कपलिंग होती है। जिसकी वजह से लीकेज करंट होती है।
व्हीआइटीएपी के असि प्रो डॉ प्रतीक जैन ने बताया कि रियल टाइम सिस्टम में किस प्रकार गलतफहमियां उत्पन्न होती है। साथ ही व्यवहारिक रूप से किस प्रकार इनकी परफॉर्मेंस की जा सकती है। कार्यक्रम के आखिरी व्याख्यान में कोर आइईएल टेक्नोलॉजी सीनियर लीड एप्लीकेशन इंजीनियर अंकुर संगल ने वीएलएसआई के लेटेस्ट ट्रेंड एवं इसके अपॉच्र्युनिटी एजेंडा के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि इंडस्ट्री में किस प्रकार वीएलएसआई के लेटेस्ट टें्रड विभिन्न रूप से प्रसारित हो रहे है।
Published on:
17 Jul 2021 11:46 am
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