
ग्वालियर. प्रदेश में आधुनिक स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार में भोपाल और इंदौर काफी आगे निकल चुके हैं। इन दोनों शहरों में ह्यूमन मिल्क बैंक और स्पर्म बैंक जैसी जीवन रक्षक सुविधाएं संचालित हो रही हैं, जिससे रोजाना सैकड़ों मरीजों और नवजातों को नई ङ्क्षजदगी मिल रही है। वहीं ग्वालियर में फिलहाल ब्लड बैंक और आई बैंक तक ही सुविधाएं सीमित हैं। इसके चलते गंभीर मरीजों और जरूरतमंद परिवारों को इलाज के लिए अन्य शहरों की ओर रुख करना पड़ता है। विशेषज्ञों के अनुसार, खासतौर पर नवजात शिशुओं और गंभीर दुर्घटना पीडि़तों के लिए यह स्थिति चुनौतीपूर्ण बनी हुई है।
जेएएच स्थित ब्लड बैंक में हर महीने 1800 से 2000 यूनिट रक्त संग्रह होता है, जबकि मरीजों की मांग करीब 2500 यूनिट तक पहुंच जाती है। इस अंतर को पाटने के लिए समय-समय पर रक्तदान शिविर लगाए जाते हैं। यहां जेएएच के साथ अन्य अस्पतालों के मरीजों को भी रक्त उपलब्ध कराया जाता है।
ह्यूमन मिल्क बैंक: इसमें माताओं के दान किए गए दूध को छह महीने तक सुरक्षित रखा जाता है, जो कमजोर और समय से पहले जन्मे शिशुओं के लिए जीवन रक्षक होता है।
बोन बैंक: ऑपरेशन या दान से प्राप्त हड्डियों को -40 से -70 डिग्री सेल्सियस तापमान पर सुरक्षित रखा जाता है, जिससे जरूरत पडऩे पर प्रत्यारोपण किया जा सके।
ह्यूमन मिल्क बैंक और बोन बैंक का प्रस्ताव लंबित… जीआरएमसी में हर महीने हजारों मरीजों का इलाज होता है। लंबे समय से यहां ह्यूमन मिल्क बैंक और बोन बैंक की जरूरत महसूस की जा रही थी। इसे देखते हुए दोनों सुविधाओं का प्रस्ताव भोपाल भेजा गया है, लेकिन अभी मंजूरी का इंतजार है।
जेएएच में संचालित आई बैंक 2011-12 में बंद हो गया था। हाल ही में नए प्रस्ताव और संसाधनों के बाद इसे करीब छह महीने पहले दोबारा शुरू किया गया। इससे नेत्र रोगियों को निजी अस्पतालों या दूसरे शहरों में जाने की मजबूरी से राहत मिली है।
मरीजों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए ह्यूमन मिल्क बैंक और बोन बैंक के प्रस्ताव भेजे गए हैं। मंजूरी मिलते ही दोनों सुविधाएं शुरू की जाएंगी। इसके लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।
डॉ. आर.के.एस. धाकड़, डीन, जीआरएमसी
Published on:
14 Dec 2025 06:21 pm
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