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मध्यस्थता से नहीं सुलझा विवाद, आंग्रे की नातिन को 36 करोड़ और संपत्ति में हिस्सा देने से पति का इंकार

हाईकोर्ट में दायर की गई थी कुटुंब न्यायालय के आदेश के खिलाफ अपील, मध्यस्थता के दौरान पति सभी विवाद खत्म कर पत्नी को डेढ़ लाख रुपए प्रति महीना देने को तैयार था

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मध्यस्थता से नहीं सुलझा विवाद, आंग्रे की नातिन को 36 करोड़ और संपत्ति में हिस्सा देने से पति का इंकार

मध्यस्थता से नहीं सुलझा विवाद, आंग्रे की नातिन को 36 करोड़ और संपत्ति में हिस्सा देने से पति का इंकार

ग्वालियर। मराठा सरदार आंग्रे की नातिन कात्यायनी और इंदौर के अर्जुन काक के बीच चल रहे विवाह के विवाद को मध्यस्थता से सुलझाने के रास्ते खत्म हो गए। हाईकोर्ट में एकल पीठ ने मध्यस्थता का अवसर समाप्त करते हुए वैवाहिक प्रकरण को सक्षम बैंच में भेजने का आदेश दिया है।

मध्यस्थता के दौरान पति सभी विवाद खत्म कर पत्नी को डेढ़ लाख रुपए प्रति महीना देने को तैयार था, लेकिन अंतिम दौर की बातचीत में उसने स्थायी भरण पोषण के रूप में 36 करोड़ नगद व संपत्ति से हिस्सा भी मांगा। इससे दोनों के बीच सुलह का रास्ता खत्म हो गया। इस केस को मध्यस्थता से न सुलझाते हुए सक्षम न्यायालय में सुना जाएगा। दरअसल कात्यायनी ने पहले दिल्ली के कुटुंब न्यायालय में तलाक आवेदन लगाया, लेकिन अधिकार क्षेत्र से बाहर होने पर दिल्ली में आवेदन खारिज हो गया। इसके बाद ग्वालियर के कुटुंब न्यायालय में तलाक का आवेदन लगाया है। जब अर्जुन पर न्यायालय का नोटिस पहुंचा तो वह भी जवाब के लिए सामने आए। अर्जुन ने विरोध करते हुए कहा कि जब विवाह ही नहीं हुआ है तो तलाक कैसे होगा। कात्यायनी के आवेदन को खारिज कर सभी मामले समाप्त किए जाएं। कुटुंब न्यायालय ने 25 फरवरी 2023 को अर्जुन का आवेदन खारिज कर दिया। कुटुंब न्यायालय के आदेश के खिलाफ अर्जुन ने सिविल रिवीजन दायर की। कोर्ट ने पाया कि इस विवाद को मध्यस्थता से खत्म किया जा सकता है। दोनों इस पूरे मामले पर चर्चा करें और विवाद खत्म करें। कैमरे के माध्यम से मीडिएशन किया गया। कात्यायनी डेढ़ लाख रुपए प्रति महीना भरण-पोषण की राशि लेकर विवाद को खत्म करने के लिए तैयार हो गई। अर्जुन ने भरोसा दिया कि बैंक में इतना फिक्स डिपोजिट कर दिया जाएगा, जिससे कात्यायनी को डेढ़ लाख रुपए प्रति महीना मिलता रहेगा। अंत में कात्यायनी ने 36 करोड़ व संपत्ति में हिस्सा मांग लिया। इस पर अर्जुन तैयार नहीं हुआ और मध्यस्थता के प्रयास विफल हो गए। कोर्ट में रिपोर्ट आ गई।

क्या है मामला - दरअसल इंदौर के अर्जुन व ग्वालियर की कात्यायनी का विवाह 2018 में हुआ था। नगर निगम द्वारा दोनों का विवाह प्रमाण पत्र भी जारी करना बताया गया। विवाह प्रमाण पत्र का मामला हाईकोर्ट आया। हाईकोर्ट ने विवाह प्रमाण पत्र शून्य घोषित कर दिया था। नगर निगम आयुक्त को आदेश दिया था कि पूरे मामले की जांच की जाए। नगर निगम ने भी प्रमाण पत्र जारी करने के फैसले को रद्द कर दिया।

- अर्जुन पर दहेज का भी मामला दर्ज कराया गया है। कात्यायनी ने आरोप लगाया है कि दहेज में विंटेज कार मांगी है।

- दोनों के बीच काफी विवाद चल रहे हैं, जिन्हें कोर्ट मध्यस्थता से समाप्त करना चाहते हैं।