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सर्दी में धूल-धुआं बन रहा जानलेवा, ओपीडी में बढ़े मरीज,इसलिए जरूर बरतें ये सावधानियां

हरवासियों के लिए धूल और धुआं खतरनाक

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सर्दी के मौसम में शहरवासियों के लिए धूल और धुआं खतरनाक साबित हो रहा है। पत्रिका।

सर्दी के मौसम में शहरवासियों के लिए धूल और धुआं खतरनाक साबित हो रहा है। प्रदूषण अब सिर्फ फेफड़ों तक सीमित नहीं रह गया, बल्कि असर खून की रगों तक पहुंचने लगा है। नतीजा यह है कि गले, सीने और सांस से जुड़ी बीमारियों के मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं। जेएएच की ओपीडी में ही 15 से 20 फीसदी तक सर्दी-खांसी-बुखार और चेस्ट इन्फेक्शन के मरीज बढ़ गए हैं। चिंता की बात यह है कि जहां पहले ऐसे संक्रमण 7 से 10 दिन में ठीक हो जाते थे, अब उनमें 15 से 20 दिन तक लग रहे हैं। शहर की हवा लगातार जहरीली बनी हुई है। ग्वालियर का एक्यूआई अभी भी 296 के आसपास दर्ज किया जा रहा है। बीते 15 दिनों का औसत देखें तो एक्यूआई 300 के करीब या उससे ऊपर ही रहा है। सुबह के समय हालात और भी खराब हो जाते हैं। डीडी नगर और महाराज बाड़ा जैसे इलाकों में सुबह एक्यूआई 300 से 350 तक पहुंच रहा है, जो सेहत के लिए बेहद खतरनाक स्तर माना जाता है। साफ है कि सर्दी में प्रदूषण ग्वालियरवासियों की सेहत पर सीधा हमला कर रहा है। ऐसे में सावधानी ही सबसे बड़ा बचाव है, नहीं तो यह जहरीली हवा आने वाले दिनों में और भी गंभीर रूप ले सकती है।

पर्यावरण विशेषज्ञों के अनुसार, सर्दी के मौसम में धूल, धुआं और वाहनों से निकलने वाला प्रदूषण हवा में ऊपर नहीं उठ पाता। ठंडी हवा जमीन के पास चिपक जाती है और एक तरह की स्मॉग लेयर बन जाती है। यही कारण है कि सुबह के समय हवा सबसे ज्यादा जहरीली होती है। इसी दौरान वायरस भी तेजी से सक्रिय हो जाते हैं, जिससे संक्रमण लंबे समय तक बना रहता है। मेडिसिन विशेषज्ञों का कहना है कि मौसम में बदलाव के साथ प्रदूषण आंख, नाक, त्वचा और सांस के रास्ते सीधे फेफड़ों को प्रभावित कर रहा है। इससे चेस्ट इन्फेक्शन, सांस फूलना और अस्थमा जैसी समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं। बच्चों, बुजुर्गों और पहले से सांस के मरीजों पर इसका असर सबसे ज्यादा देखा जा रहा है।

मरीजों में बढ़ रही ये शिकायतें
मौसम बदलते ही गले में जलन, खराश, खांसी, बलगम, चेस्ट कंजेशन, सीने में भारीपन, थकान, सांस फूलना, चक्कर और सिरदर्द की शिकायतें लगातार बढ़ रही हैं। कई मरीजों में सीने में जकड़न, थोड़ी दूर चलने पर ही थकान और लगातार कमजोरी की समस्या सामने आ रही है।

क्यों बढ़ गया ठीक होने का समय
विशेषज्ञों के अनुसार, सर्दी में धुआं, धूल और कोहरा ऊपर नहीं उठ पाते। सुबह 5 से 8 बजे के बीच तापमान जमीन के पास सबसे कम रहता है, जिससे स्मॉग उसी लेयर में फंसा रहता है। इसी समय लोग मॉर्निंग वॉक और एक्सरसाइज के लिए बाहर निकलते हैं, जिससे जहरीले कण सीधे फेफड़ों में चले जाते हैं और संक्रमण लंबे समय तक बना रहता है।

सुबह 5 से 8 बजे के बीच तक तापमान जमीन के पास सबसे कम रहता है। इससे धुआं, धूल सहित अन्य जहरीली गैसें ऊपर नहीं उठ पातीं और स्मॉग उसी लेयर में फंसा रहता है। अधिकतर लोग इसी समय वॉक करते है अथवा एक्सरसाइज के लिए बाहर निकलते हैं, जिससे जहरीले कण सीधे फेफड़ों में चले जाते हैं। यह कण सांस के साथ ही सीधे फेफड़ों तक पहुंच जाते है जो कि लोगों को काफी नुकसान पहुंचा रहे है। ऐसे में शहरवासियों को मास्क पहनकर ही घर से बाहर निकलना चाहिए। सर्दी आते ही अब हवा में कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाईऑक्साइड, नाइट्रोजन डाईऑक्साइड और पीएम 2.5 और पीएम 10 के कण भी लगातार बढ़ रहे है। ऐसे में मास्क पहनना बेहद जरूरी है।
प्रो अनीश पाण्डे, पर्यावरण विशेषज्ञ

सर्दी के साथ ही मौसम में बदलाव आते ही अब प्रदूषण के कारण नाक,त्वचा, आंख, सांस,चेस्ट इन्फेक्शन,इंफ्लुएंजा और निमोनिया जैसे वायरस तेजी से सक्रिय हो रहे है। इनकी चपेट में सबसे ज्यादा बच्चे, बुजुर्गों व अस्थमा जैसे मरीज आ रहे है। ओपीडी में भी 15 से 20 फीसदी मरीज सर्दी-खांसी-बुखार के बढ़े है और इनको सही होने में भी सामान्य दिनों से ज्यादा यानी 15 से 20 दिन लग रहे है। लोगों को खुद ही बचाव करना चाहिए और सर्दी में सुबह धूप आने तक बाहर नहीं निकले। बुजुर्गों को मास्क पहनकर ही घर से बाहर जाना चाहिए।
डॉ अजय पाल, मेडिसिन जेएएच ग्वालियर

ये सावधानियां अपनाएं
अधिक से अधिक पानी पिएं
बाहर का खाना कम करें
शाम से सुबह तक घर की खिड़कियां बंद रखें
बच्चों और बुजुर्गों को धुएं वाले इलाकों से दूर रखें
रोज हल्की एक्सरसाइज करें, लेकिन स्मॉग के समय नहीं
सुबह जल्दी बाहर न निकलें, 8 बजे के बाद ही धूप लें
बाहर जाते समय मास्क जरूर पहनें