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पितृ पक्ष में भूलकर भी न करें ये काम, क्रोधित हो जाते हैं पितृ

ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक पितृ पक्ष के दौरान कई ऐसे कार्य होते हैं, जिन्हें नहीं करना चाहिए।

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ग्वालियर। देशभर में इसबार पितृपक्ष की शुरुवात 10 सितम्बर से होने जा रही है और इसका समापन 26 सितम्बर को होगा। शहर में भी पितरों के तर्पण की तैयारी चल रही है। कई लोगों ने हरिद्वार और गया जी की टिकट बुक कर ली है, ताकि पितरों का पिंडदान कराया जा सके। पितृ पक्ष की शुरुआत भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से होती है, जो अश्विम मास की अमावस्या तिथि को समाप्त होती है। पितृ पक्ष पूर्वजों के लिए समर्पित होता है। इस समय लोग अपने पूर्वजों को याद करते हैं। और उनकी स्मृति में श्राद्ध कराकर जल से उन्हें तर्पण देते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार इससे उन्हें शांति मिलती है। पितृ इस माह में धरती पर विचरण करते हैं और अपनी मृत्यु तिथि अनुसार अपने घरों में श्राद्ध ग्रहण करने भी जाते हैं।

इन कामों से लग जाता है पितृ दोष
भाद्रपद मास से लेकर अश्विन मास तक लोग अपने पितरों को प्रसन्न रखने के लिए अलग अलग तरह के शुभ कार्य करते हैं। ज्योतिषों के मुताबिक इस दौरान ऐसा कोई भी कार्य नहीं करना चाहिए जिससे पितृ नाराज हो जाएं। जैसे, नए कपडे पहनना, बाल और नाख़ून कटाना, प्याज लहसुन और मास मदिरा का सेवन करना। इस दौरान लोहे के बर्तन व इत्र का इस्तेमाल करना भी वर्जित होता है। इस माह में किसी का भी अपमान नहीं करना चाहिए पितृ कभी भी आपके दरवाजे पर आ सकते हैं। ऐसा करने से पितृ क्रोधित हो जाते हैं। और भोजन व तर्पण भी स्वीकार नहीं करते हैं।

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किसी तरह के भ्रम में न रहें
कई ज्योतिषाचार्यों का मानना हैं लोग भ्रम में आकर इस दौरान शॉपिंग नहीं करते, जबकि ऐसा किसी भी शास्त्र में उल्लेख नहीं किया गया है। लोग वेवजह इस तरह की परंपरा को मानते हैं। क्वार के महीने में पितृ धरती पर ही रहते हैं। और ऐसे में वे अपने बच्चों की तरक्की देखकर खुश होते हैं। इस दौरान जो भी खरीददारी की जाती है वो उनकी निगरानी में की जाती है। तो अपने स्वजनों की उन्नति देखकर तो पितृ खुश होते हैं इसमें रुष्ट होने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता। ज्योतिषियों के मुताबिक हिन्दू धर्मग्रंथों में किसी भी शुभ कार्य से पहले भगवन गणेश की आराधना की जाती है। इसी लिए पितृ पक्ष से पहले गणपति जी की पूजा का कार्यक्रम चलता है।