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विश्व स्वास्थ्य संगठन के नियमों का स्वास्थ्य विभाग में पालन नहीं, 10189 लोगों पर एक सरकारी डॉक्टर

-आयुष डॉक्टर कर सकते हैं इस कमी को पूरा, हर वर्ष तीन हजार से अधिक आयुष डॉक्टर निकलते है डिग्री लेकर

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विश्व स्वास्थ्य संगठन के नियमों का स्वास्थ्य विभाग में पालन नहीं, 10189 लोगों पर एक सरकारी डॉक्टर

ग्वालियर. विश्व स्वास्थ्य संगठन के नियमानुसार प्रति एक हजार जनसंख्या पर एक डॉक्टर जरूरी है । लेकिन ग्वालियर समेत पूरे प्रदेश और भारत वर्ष में सरकारी डॉक्टरों की बेहद कमी है। भारत में 10189 लोगों पर एक डॉक्टर है, यानि कि भारत में छह लाख सरकारी डॉक्टरों की कमी है। इसका खुलासा अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज डायनामिक्स इकॉनामिक्स एण्ड पॉलिसी की रिपोर्ट करती है। इस कमी को केवल आयुष डॉक्टर ही पूरी कर सकते हैं। यह बात आयुष मेडिकल एसोसिएशन के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. राकेश पांडेय ने कही।


मान सरोवर आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज एण्ड रिसर्च सेन्टर भोपाल के विभागाध्यक्ष डॉ. पांडे ने पत्रिका को यह जानकारी देते हुए बताया कि देश में डॉक्टरों की कमी को केवल आयुष डॉक्टरों से ही पूरी की जा सकती है। प्रदेश में तीन हजार आयुष डॉक्टर्स समेत भारत में प्रतिवर्ष लगभग तीस हजार आयुष डॉक्टर्स डिग्री लेकर निकल रहे हैं। फिलहाल देश भर में पांच लाख से ज्यादा आयुष डॉक्टर्स सरकारी सेवाओं के इंतजार में हैं।

उन्होंन बताया कि बहुत सारे एमबीबीएस डॉक्टर ग्रामीण सुदूर अंचलों में सेवाएं देने में असमर्थता जताते रहे हैं, इसलिए आयुर्वेद, होम्योपैथी, यूनानी-आयुष डॉक्टरों को एलोपैथी का ब्रिज कोर्स कराकर ग्रामीण अंचलों के प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में पदस्थ किया जा सकता है।


डॉ. पांडे ने केन्द्र सरकार से कहा है कि वह जनमानस को पूरी तरह से स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराना चाहती है तो आयुष डॉक्टरों की सेवाएं लेने पर गंभीरता के साथ विचार कर निर्णय ले इससे जहां स्वास्थ्य सेवाएं सुधरेंगी वहीं आयुष डॉक्टरों को रोजगार मिलेगा।