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VIDEO: जड़ेरुआ रोड पर चला प्रशासन का हथौड़ा, 20 साल से जिन आशियानों में था 100 परिवारों का बसेरा, 5 घंटे में उजाड़ दिया

उच्च न्यायालय के आदेश पर जिला प्रशासन-नगर निगम और पुलिस ने मिलकर ६ नंबर चौराहे से जड़ेरुआ बांध होकर हाईवे तक जाने वाली सड़क से अतिक्रमण

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ग्वालियर। जिन बेशकीमती आशियानों में वह हर साल आती-जाती रही, जिस घर में वे खेलकर बड़े हुए, जहां उन भाई-बहन की नोक झोंक होती थी। जहां उसने डोलियां और बुजुर्गों की अर्थियां भी उठते देखी थीं। जिस जगह बच्चे से बड़े होने तक जिंदगी के अहम साल गुजारे वो बेशकीमती घरोंदे शनिवार के दिन सिर्फ पांच घंटे में ही जमींदोज कर दिए गए। एक परिवार गुरुवार को बच्चे को अस्पताल से डिस्चार्ज कराकर लाया था और शुक्रवार को लाल निशान लगाने गए कर्मियों को देखकर घबराई बच्चे की मां भागी और गिर पड़ी, इससे गोद में तीन माह का बच्चा जमीन पर गिर गया और उसकी मौत हो गई। लोगों ने अपने घर बचाने अधिकारियों के पैर पकड़कर गुहार की, लेकिन अदालत का आदेश का आदेश होने के कारण कोई कुछ नहीं कर सका...


उच्च न्यायालय के आदेश पर जिला प्रशासन-नगर निगम और पुलिस ने मिलकर ६ नंबर चौराहे से जड़ेरुआ बांध होकर हाईवे तक जाने वाली सड़क से अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की। कलेक्टर राहुल जैन के निर्देश पर हुई कार्रवाई के दौरान ११५ मकानों पर कार्रवाई हुई है, जिसमें से 85 मकानों को शतप्रतिशत तबाह कर दिया गया। जबकि दो से तीन मंजिल बने मकानों का आगे का हिस्सा गिराया गया। ऋषि गालव स्कूल के पास बने एक चार मंजिला मकान को अधिकारियों ने कार्रवाई की औपचारिकता करते छोड़ दिया। जबकि इसके आसपास के २५ से अधिक मकानों का नामोनिशान मिटा दिया गया। पूरी कार्रवाई के दौरान लोग प्रशासन-पुलिस और नगर निगम के अधिकारियों को कोसते रहे।


विवाद-पथराव
सलीम खान और रहीम खान के मकान से सटे टीन शैड और पक्की छत के मकानों के सामने वाला हिस्सा जेसीबी ने ढहा दिया था। इसके बाद जब अंदर की ओर तोडऩे के लिए जेसीबी बढ़ी तो वहां मौजूद युवक-महिलाओं ने विरोध जताना शुरू कर दिया। अपर तहसीलदार नरेश गुप्ता ने लोगों को समझाने का प्रयास किया, इस बीच सामने की ओर से दौड़कर आए कुछ युवकों ने पथराव कर दिया। भागकर आए युवकों ने ईंटों से हमला बोल दिया। ५ से ७ मिनट तक चले पथराव की शुरुआत होते ही सबसे पहले जेसीबी चालक मशीनें लेकर ६ नंबर चौराहे की ओर भागने लगे। इनको देखकर तमाशबीनों में भी किसी अनहोनी को लेकर भ्रम फैल गया और भगदड़ मच गई। लोगों को भागते देख पुलिस जवान भी भाग खड़े हुए। इसके बाद सीएसपी रत्नेश तोमर ने कमान संभाली और आगे आकर भीड़ पर नियंत्रण किया। उनके पीछे आए जवानों ने लाठियां भांजना शुरू कीं तो लोगों का विरोध ठंडा पड़ गया।

इस तरह चला घटनाक्रम


एक दिन पहले ही दी कार्रवाई की खबर पर सुबह ९ बजे जड़ेरुआ रोड के लोग इकट्ठे हो गए।


सुबह 10 बजे जेसीबी और दूसरे वाहन पहुंचे।


अमला देखकर हंगामा करना शुरू हो गयाा।

11 बजे अपर तहसीलदार व अन्य अधिकारी सर्किट हाउस पहुंच गए।

11.30 बजे सर्किट हाउस कांग्रेसी जनता का पक्ष लेकर पहुंचे 12 बजे तक चर्चा हुई।


1.20 बजे लोगों ने पथराव कर दिया, जेसीबी चालक मशीन लेकर भाग खड़ा हुआ, पुलिस जवान भी भागने लगे। इससे भगदड़ मच गई।
1.25 बजे पुलिस ने वापस आकर लाठियां भांजना शुरू कीं, इस दौरान जो सामने आया, उसमें जवानों ने लाठियां बरसाईं। दो बच्चों को भी लाठियां लगीं।

2 से 5 बजे तक निर्बाध कार्रवाई चली, लोग घरों को टूटते हुए देखते रहे

इन्होंने की अगुवाई
प्रशासन : एसडीएम एचबी शर्मा, अपर तहसीलदार नरेश गुप्ता, नायब तहसीलदार डॉ.़ मधुलिका तोमर, निशा भारद्वाज, आरआई अशोक तोमर, देवेन्द्र यादव, पटवारी गजेन्द्र छारी, कविराज यादव, शैलेष गुप्ता, रीना शर्मा व अलका जादौन मौजूद थे।


नगर निगम : उपायुक्त एपीएस भदौरिया, मदाखलत अधिकारी महेन्द्र शर्मा, भवन अधिकारी महेन्द्र अग्रवाल और क्षेत्राधिकारी महेन्द्र अग्रवाल सहित चार जेसीबी, एक पोकलेन मशीन, दो फायरब्रिगेड वाहन, मदाखलत के २५ से ३० कर्मी मौजूद थे।


पुलिस : सीएसपी रत्नेश तोमर, टीआई राजकुमार शर्मा, अजय पवार की अगुवाई में ६ सब इंस्पेक्टर और ५० से अधिक जवानों ने सुरक्षा व्यवस्था संभाली।

शाम तक 115 मकानों पर कार्रवाई की गई है, जो मकान छूट गए हैं, उस पर भी कार्रवाई होगी, जहां तक ऋषि गालव स्कूल की बाउंड्री की बात है तो वहां प्रशासन के नक्शे में सड़क संकरी ही है जो आगे जाकर फिर चौड़ी हो गई है।

नरेश गुप्ता, अपर तहसीलदार


कार्रवाई उच्च न्यायालय के आदेश पर हो रही है, जड़ेरुआ डेम तक १४० अतिक्रमण चिह्नित किए। ४ लोगों को शांति भंग करने पर गिरफ्तार किया है। जिनके मकान तोड़े हैं, उनको पीएम आवास योजना के तहत आवास दिलाने का प्रयास करेगे।

एचबी शर्मा, एसडीएम-मुरार

सर पर पत्थर लगने से घायल महिला।

न मकान बचा, न बेटा
20 साल से रह रहे थे। शुक्रवार को निगम ने लाल निशान लगाए थे, सबने समझा मकान तोडऩे वाले आ गए। मेरी पत्नी राधा बेटे धर्मेन्द्र को लेकर भागी और गिर पड़ी। इससे मेरे बेटे की मौत हो गई। मेरा तो सब उजड़ गया, न मकान बचा और न ही बेटे को बचा पाया।

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अतिक्रमण तोडऩे पहुंची पुलिस प्रशासन को भी भी जोरदार विरोध का सामना करना कहीं लोगों ने पत्थर फेंके तो किसी ने जोड़े हाथ।

मिलकर तुड़वा दिया मकान
मैं यहां 35 साल से रह रही हूं, तब यहां मकान तक नहीं थे, जगह को लेकर मेरा केस चल रहा है, तीन बार मैं जीत गई हूं, इसके बाद भी प्रशासन और नगर निगम के अधिकारियों ने दूसरे पक्ष के साथ मिलकर मेरा मकान तोड़ दिया। हमारा पूरा परिवार बेघर हो गया है। अगर, दुश्मनी मुझसे थी तो मुझसे लड़ाई लड़ते मकान तोड़कर सभी को सड़क पर लाकर खड़ा कर दिया है, अब हम कहां जाएंगे।

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नायब तहसीलदार को लगा पत्थर
लोगों को समझाते समय तहसीलदार निशा भारद्वाज के कंधे पर एक बड़ा पत्थर लगा। इसके बाद एंबुलेंस बुलाई और प्राथमिक उपचार दिया और डॉक्टर की सलाह पर उनको घर भेजाा।