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फिंगर प्रिंट क्लोन से ठगी का फर्जीवाड़ा

फिंगर प्रिंट क्लोनिंग के जरिए सरकारी नौकरी लगाने का धंधा करने वालों का लिंक कोचिंग और स्कूल शिक्षकों से जुड़ता मिल रहा है। इस धंधे के बारे में जानकारी रखने वाले भी चौकाने वाले खुलासे करते हैं उनकी दलील है कि फिंगर प्रिंट क्लोनिंग का कारोबार मुरैना में जडें़ जमा चुका हैं।

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फिंगर प्रिंट क्लोन से ठगी का फर्जीवाड़ा

फिंगर प्रिंट क्लोन से ठगी का फर्जीवाड़ा

ग्वालियर. फिंगर प्रिंट क्लोनिंग के जरिए सरकारी नौकरी लगाने का धंधा करने वालों का लिंक कोचिंग और स्कूल शिक्षकों से जुड़ता मिल रहा है। मुरैना इस फरेब का सेंटर बनकर सामने आ रहा है। दो साल में सिपाही भर्ती परीक्षा में फिंगर प्रिंट क्लोन के जरिए फर्जीवाड़ा करने में मुरैना के दो शिक्षकों के नाम सामने आए हैं। पकड़े गए आरोपियों ने ताल ठोककर पुलिस से कहा है कि उन्हें टीचर्स ने ही पास कराने का ठेका लिया था। उनके फिंगर प्रिंट के क्लोन भी बनाए थे। इन मामलों में सिर्फ रंगे हाथ पकड़े गए आरोपियों पर ही कार्रवाई हुई है। फिंगर प्रिंट बनाने वाली गैंग अभी भी शिकंजे से बाहर है।
इस धंधे के बारे में जानकारी रखने वाले भी चौकाने वाले खुलासे करते हैं उनकी दलील है कि फिंगर प्रिंट क्लोनिंग का कारोबार मुरैना में जडें़ जमा चुका हैं। दो साल पहले सबलगढ़ के गांव का शिक्षक अजिताभ धाकड़ फिंगर प्रिंट क्लोनिंग में पुलिस का मोस्टवांटेड था, लेकिन पुलिस का अमला उसे नहीं पकड़ सका। अजिताभ के बारे में कहा जाता है कि उसने पुलिस, एसएएफ और दूसरे सुरक्षा विभागों में तमाम लोगों को फर्जी तरीके से भर्ती कराया है। पुलिस उसे उठाकर लाती तो फर्जी तरीके से सुरक्षा बलों में भर्ती लोगों के खुलासे होना तय थे, इसलिए उसके जरिए भर्ती फरेबियों ने उसे बचाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी। अब फिंगर प्रिंट में क्लोनिंग में टिकटोली गांव का इंद्रजीत सिंह कुशवाह सामने आया है। इंद्रजीत भी कोचिंग टीचर है। सीआरपीएफ की सिपाही भर्ती परीक्षा में उसने मुरैना निवासी विष्णु और चरण सिंह को फिंगर प्रिंट क्लोन के जरिए परीक्षा पास कराने की कोशिश की थी। दोनों पकड़े गए तो टीचर की आड ़में इंद्रजीत के इस धंधे का खुलासा हुआ।
प्रिंट क्लोनिंग का कारोबार व्यापमं फरेब के खुलासे के बाद शुरू हुआ है। मुरैना में इसका बड़ा मास्टरमाइंड अजिताभ धाकड़ रहा है, अब इंद्रजीत का गिरोह भी इसी धंधे में उभर रहा है। पुलिस के हत्थे चढ़े आरोपियों ने यहां तक खुलासा किया है कि फिंगर प्र्रिट क्लोनिंग करने वाले कुछ घंटों में फर्जी फिंगर प्रिंट बनाते हैं इसके एवज में ढाई से पांच हजार रुपया वसूलते हैं। हर परीक्षा में उनके पास फर्जी फिंगर प्र्रिंट बनवाने वालों की बुकिंग होती है। जो लोग लिखित परीक्षा में अपनी जगह सॉल्वर बैठाते हैं गिरोह उनका और सॉल्वर का फिंगर प्र्रिंट बनवाता है। इससे पहले आगरा और मेरठ में क्लोनिंग कराई जाती थी लेकिन अब मुरैना में नकली प्रिंट बनाने के कई अड्डे हैं। इनका लिंकअप कोचिंग टीचर्स और प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वालों से रहता है।