आरटीआई कार्यकर्ता राकेश सिंह कुशवाह ने पूर्व सीईओ के फर्जी हस्ताक्षर से 150 प्लॉटों को फर्जी तरीके से बेच दिए जाने के मामले की शिकायत आर्थिक अपराध अनुसंधान प्रकोष्ठ को की थी। शिकायत में कहा गया कि जीडीए के पूर्व सीईओ एमपी वत्स के फर्जी हस्ताक्षरों के आधार पर 150 प्लॉटों को बेच दिया गया है। इन प्लॉटों पर निर्माण भी करा दिया गया है। शिकायत के साथ ही ईओडब्ल्यू को प्रकरण से संबंधित दस्तावेज भी उपलब्ध कराए गए हैं।
इस मामले की शिकायत के साथ ही प्राधिकरण के पूर्व सीईओ एमपी वत्स का शपथ पत्र भी प्रस्तुत किया गया, जिसमें उनके द्वारा कहा गया है कि उनके कार्यकाल में ग्वालियर गृह निर्माण एवं अशोक गृह निर्माण सहकारी संस्था को आनंद नगर योजना के अलावा किसी योजना में भूखंड आवंटित नहीं किए गए हैं, जबकि उनके हस्ताक्षरों से ही 150 प्लॉट आवंटित कर दिए गए। कलेक्टर ग्वालियर ने इस मामले की शिकायत के बाद तीन सदस्यीय जांच कमेटी का गठन किया गया था। इस मामले में जांच शुरु हो पाती कि इसके बाद ही फर्जी आदेश से 148 प्लॉट आवंटित किए जाने का एक और मामला सामने आ गया। ये 148 प्लॉट ग्वालियर गृह निर्माण सहकारी समिति को आवंटित किए गए हैं।
सीईओ वीरेन्द्र सिंह ने इन प्लॉटों से संबंधित सर्वे वाली जमीन पर कोई भी रजिस्ट्री नहीं करने के निर्देश भी दिए हैं। दरअसल आनंद नगर योजना में ग्वालियर गृह निर्माण सहकारी समिति को केवल 12 प्लॉट आवंटित किए गए थे, जिस पत्र क्रमांक से यह प्लॉट आवंटित किए गए थे उसी पत्र क्रमांक के आधार पर उसी दिन एक और पत्र जारी कर दिया गया, जिसमें148 भूखंड आवंटित कर दिए गए।
इस मामले की जांच इंस्पेक्टर अजय कुमार शर्मा को सौंपी गई है। उन्होंने जांच शुरू कर दी है। उन्हें जल्दी जांच करने को कहा गया है।
रघुवंश सिंह, एसपी ईओब्ल्यू