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मौत के करीब लाया “मोबाइल गेम”, जानिए आखिर क्या हुआ इस परिवार के साथ

fight for mobile game in shivpuri three people injured: जहां घायल किशोर की हालत नाजुक बताई गई है और वह लगातार खून की उल्टियां कर रहा है। पुलिस ने इस मामले में आरोपी माता-पिता और उसके बेटे के खिलाफ हत्या के प्रयास का मामला दर्ज कर लिया है।

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fight for mobile game in shivpuri three people injured

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शिवपुरी. बैराड़ थानांतर्गत गायत्री कॉलोनी में रहने वाले एक बच्चे ने शुक्रवार सुबह पड़ोस में रहने वाले एक अन्य बच्चे को मोबाइल पर गेम खिलाने से मना कर दिया। इस बात से क्षुब्ध होकर पड़ोसी बच्चे के माता-पिता ने उसका न सिर्फ मोबाइल तोड़ दिया बल्कि उसे लाठियों से पीट-पीट कर मरणासन्न कर दिया। जब बच्चे को बचाने उसके माता-पिता आए तो उन्हें भी घायल कर दिया गया। पुलिस ने आरोपी माता-पिता सहित बच्चे पर हत्या के प्रयास का मामला दर्ज कर विवेचना प्रारंभ कर दी है।

जानकारी के अनुसार गायत्री कॉलोनी निवासी लोहिया जाटव का 15 वर्षीय बेटा मोबाइल पर गेम खेल रहा था। इसी दौरान उसके पास पड़ोस में रहने वाला एक अन्य बच्चा वहां आया और उससे बोला कि मोबाइल पर उसे भी गेम खिला ले। उसने गम खिलाने से मना कर दिया तो दोनों के बीच मुंहवाद और हाथापाई हो गई। इसके बाद पड़ोस में रहने वाले बच्चे ने पिता व मां को यह बताई तो वह लाठी लेकर आए तथा मोबाइल पर गेम खेल रहे बच्चे के हाथ से मोबाइल छीनकर तोड़ दियाऔर उसके सिर पर लाठियों से कई प्रहार किए, जिससे वह मरणासन्न होकर जमीन पर गिर गया।

इसके बाद जब पीडि़त बच्चे का पिता लोहिया वहां आया तो आरोपियों ने उसके सिर पर भी लाठियों से प्रहार कर दिए।झगड़े में घायल किशोर व उसके पिता व मां को भी जिला अस्पताल में भर्ती करवाया गया है।जहां घायल किशोर की हालत नाजुक बताई गई है और वह लगातार खून की उल्टियां कर रहा है। पुलिस ने इस मामले में आरोपी माता-पिता और उसके बेटे के खिलाफ हत्या के प्रयास का मामला दर्ज कर लिया है।

अस्पताल में बाजार से मंगवाईं दवाएं, जांच के भी लिए पैसे

जिला अस्पताल में जब घायल किशोर इलाज के लिए पहुंचा तो उसे डॉ सौरभ चौहान ने देखा तथा उसे सीटी स्कैन के लिए रैफर कर दिया। एमएलसी केस होने के बाबजूद उससे सीटी स्कैन के 1866 रुपए की मांग की गई। परिजनों ने बताया कि उस समय उनके पास सीटी स्कैन के पैसे नहीं थे तो जांच तब तक नहीं की गई जब तक कि उन्हें पैसे जमा नहीं कर दिए गए।

इसके बाद घायल किशोर को उल्टियों के साथ ब्लड आना बंद नहीं हुआ तो डॉक्टर ने ब्लड रोकने एक इंजेक्शन लिखा, परंतु वह हॉस्पिटल में उपलब्ध नहीं था तो उससे यह इंजेक्शन बाजार से मंगवाया गया। इस बात को लेकर भी डॉक्टर और परिजनों के बीच काफी बहस हुई। इस पर डॉक्टर का कहना था कि कौन सी दवा उपलब्ध है और कौन सी नहीं यह देखना मैनेजमेंट का काम है, वह मरीज को बेहतर से बेहतर इलाज मुहैया कराने का प्रयास कर रहा है।

दवाओं की खरीदी जिला अस्पताल प्रबंधन कर रहा है, ऐसे में इंजेक्शन अस्पताल में उपलब्ध क्यों नहीं हो पा रहा यह बात सिविल सर्जन ही बता पाएंगे।
डॉ केबी वर्मा,अधीक्षक मेडिकल कॉलेज

जो इंजेक्शन डॉक्टर ने लिखा है वह अस्पताल में उपलब्ध है। ऐसे में इंजेक्शन मरीज को बाजार से लाने के लिए क्यों बोला, मैं पता करवाता हूं। सीटी स्कैन के पैसे लगना या न लगना डॉक्टर पर निर्भर करता है कि उसने जांच फ्री ऑफ कॉस्ट लिखी है या नहीं।
डॉ राजकुमार ऋषिश्वर, आरएमओ, डीएच